राजस्थान हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव से संबंधित एक निर्णय में कहा है कि नसबंदी फेल होने के बाद भी यदि तीसरी संतान होती है तो उस स्थिति में वह चुनावी अयोग्यता मानी जाएगी। हाई कोर्ट ने कहा कि राजस्थान पंचायत राज अधिनियम में ऐसा कोई अपवाद नहीं है कि, नसबंदी फेल होने के बाद संतान होने पर चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी को चुनाव के लिए अयोग्य न माना जाए।
न्यायाधीश आर.एस.चौहान ने यह आदेश जयपुर जिले की फागी तहसील निवासी गजानंद की याचिका को खारिज करते हुए दिया। न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि अदालत को यह क्षेत्राधिकार नहीं है कि वह तीसरी संतान पैदा होने पर चुनाव लडऩे के दावेदार को अयोग्य न ठहराए और इसके लिए कानून में संशोधन करे।
याचिकाकर्ता के वकील धर्मवीर ठोलिया ने कहा कि गजानंद की पत्नी ने सरकारी कैंप में नसबंदी कराई थी लेकिन नसबंदी फेल होने के कारण उसकी तीसरी संतान हो गई और राज्य सरकार के 27 नवंबर 95 के आदेश के कारण वह चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य हो गया। याचिका में गुहार की गई कि, चूंकि सरकारी चिकित्सक की लापरवाही से नसबंदी फेल होने के कारण उसके तीसरी संतान हुई है। इसलिए उसे चुनाव लडऩे की अनुमति दी जाए। लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य ठहराया।
याचिकाकर्ता के वकील धर्मवीर ठोलिया ने कहा कि गजानंद की पत्नी ने सरकारी कैंप में नसबंदी कराई थी लेकिन नसबंदी फेल होने के कारण उसकी तीसरी संतान हो गई और राज्य सरकार के 27 नवंबर 95 के आदेश के कारण वह चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य हो गया। याचिका में गुहार की गई कि, चूंकि सरकारी चिकित्सक की लापरवाही से नसबंदी फेल होने के कारण उसके तीसरी संतान हुई है। इसलिए उसे चुनाव लडऩे की अनुमति दी जाए। लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य ठहराया।
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