सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग की फोटो मतदाता सूची से बुर्का पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं का चित्र हटाए जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यदि किसी को यह छूट प्रदान की गई तो लाखों लोग आवेदन लेकर खड़े हो जाएंगे, जिससे बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। इससे पहले आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि पर्दे के रिवाज की न तो कोई कानूनी हैसियत है और न ही इसे इस्लाम का अभिन्न हिस्सा माना जा सकता है। आयोग की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा, हाईकोर्ट कह चुका है कि पर्दा इस्लाम धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है। उनकी इस दलील पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, दो-तीन किताबों के निष्कर्ष पर यह बात नहीं कही जा सकती। मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा, वे इस मुद्दे पर विचार नहीं कर रहे हैं कि पर्दा इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है कि नहीं। कोर्ट ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए टालते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वह स्वयं सोचकर बतायें कि ऐसा कौन सा आदेश पारित किया जा सकता है जो हर तरह से उचित हो। अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल मोहन जैन का कहना था कि याचिका में रखी मांग नहीं मानी जा सकती है। आयोग ने कहा, फोटो के दुरुपयोग को ध्यान में रखा गया है इसलिए सीडी में फोटो नहीं रखी जाती। कागजी प्रति सिर्फ चुनाव कराने वाले अधिकारियों व राजनैतिक दलों के एजेंटों को दी जाती हैं। याचिकाकर्ता का कहना था कि अफसरों को फोटो वाली मतदाता सूची देने पर उन्हें आपत्ति नहीं है लेकिन दलों के एजेंटों को फोटो वाली सूची न दी जाये क्योंकि उनके हाथ में आने से वे उसकी अनगिनत प्रतियां करवा सकते हैं और उससे मुस्लिम धर्म में आस्था रखने वाली पर्दानशीन महिलाओं को ऐतराज हो सकता ह
Tuesday, February 23, 2010
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