मुंबई हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) का आवेदन नियोक्ता की स्वीकृति से पहले वापस लिया जा सकता है। अदालत ने यह फैसला नागपुर स्थित यूको बैंक में कार्यरत मधुसूदन त्रिवेदी की याचिका पर सुनाया।
न्यायमूर्ति एस.ए.बोबदे और वसंती नाइक की खंडपीठ ने कहा कि हालांकि वीआरएस नियमों में यह व्यवस्था नहीं है,लेकिन आवेदन वापस लिया जा सकता है। त्रिवेदी ने बैंक की ओर से नवंबर 2000 में शुरू की योजना के तहत वीआरएस लेने के लिए आवेदन किया था। उन्होंने एक जनवरी 2001 को इसके लिए आवेदन किया।
याचिका में उन्होंने कहा कि आवेदन के समय उन्हें योजना के सभी प्रावधानों की जानकारी नहीं थी। बाद में जानकारी होने पर उन्होंने अपना आवेदन वापस लेना चाहा, लेकिन बैंक ने यह कह कर मना कर दिया कि नियमों के मुताबिक आवेदन वापस नहीं लिया जा सकता। इस फैसले के खिलाफ त्रिवेदी ने मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
हाईकोर्ट ने पाया कि त्रिवेदी के आवेदन वापस लेने की मांग तक बैंक ने उसके आवेदन को स्वीकार नहीं किया था।
न्यायमूर्ति एस.ए.बोबदे और वसंती नाइक की खंडपीठ ने कहा कि हालांकि वीआरएस नियमों में यह व्यवस्था नहीं है,लेकिन आवेदन वापस लिया जा सकता है। त्रिवेदी ने बैंक की ओर से नवंबर 2000 में शुरू की योजना के तहत वीआरएस लेने के लिए आवेदन किया था। उन्होंने एक जनवरी 2001 को इसके लिए आवेदन किया।
याचिका में उन्होंने कहा कि आवेदन के समय उन्हें योजना के सभी प्रावधानों की जानकारी नहीं थी। बाद में जानकारी होने पर उन्होंने अपना आवेदन वापस लेना चाहा, लेकिन बैंक ने यह कह कर मना कर दिया कि नियमों के मुताबिक आवेदन वापस नहीं लिया जा सकता। इस फैसले के खिलाफ त्रिवेदी ने मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
हाईकोर्ट ने पाया कि त्रिवेदी के आवेदन वापस लेने की मांग तक बैंक ने उसके आवेदन को स्वीकार नहीं किया था।
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