पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, April 18, 2009

अनिवार्य मतदान से संबंधित जनहित याचिका खारिज

उच्चतम न्यायालय ने देश में अनिवार्य मतदान की व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने संबंधी याचिका आज खारिज कर दी. याचिकाकर्ता अतुल सरोदे ने मु‘य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन और न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की खंडपीठ के समक्ष यह दलील दी कि जिस तरह आस्ट्रेलिया में मतदान को अनिवार्य बनाया गया है. उसी तरह भारत में मतदान अनिवार्य करने की जरूरत है. ताकि देश के ज्यादा से ज्यादा नागरिकों की भागीदारी लोकतंत्र के महापर्व चुनाव में हो सके. खंडपीठ ने जब याचिकाकर्ता से यह पूछा कि आखिर उनकी जनहित याचिका का मकसद ‘या है, तो उन्होंने कहा कि वह ऐसी व्यवस्था चाहते हैं, जिससे लोकतंत्र में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो और मतदान 50 प्रतिशत से अधिक हो सके. इसपर न्यायालय ने कहा कि देश में औसत मतदान तो अब भी 50 प्रतिशत से अधिक है. फ़िर इस याचिका का औचित्य ‘या है. इसके बाद न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी.

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