पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, April 18, 2009

एलएलबी में प्रवेश आयुसीमा को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकृत

मुंबई उच्च न्यायालय ने विधि महाविद्यालय में प्रवेश के लिए उच्चतम आयुसीमा निर्धारण को चुनौती देने वाली याचिका आज विचारार्थ स्वीकार कर ली।
याचिका शबनम मुलानी नामक महिला पुलिस कांस्टेबल ने दायर की है जो कानून की पढ़ाई करना चाहती थी लेकिन निर्धारित आयुसीमा से अधिक उम्र हो जाने के कारण ऐसा नहीं कर सकतीं। बार काउंसिल आफ इंडिया ने पिछले वर्ष एक नए नियम के तहत तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए उच्चतम आयुसीमा 30 वर्ष निर्धारित कर दी थी।
याचिकाकर्ता के वकील महेश वासवानी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने बार काउंसिल आफ इंडिया यूजीसी और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को नोटिस भेज कर उनसे मामले पर जवाब मांगा है। मुकदमे की अगली सुनवाई 17 जून को होगी।

2 टिप्पणियाँ:

Anil Kumar said...

शिक्षा को आयुसीमा के बंधन में बांधा जाना सर्वथा अनुचित है। कुछ विचार यहाँ प्रस्तुत हैं।

Rakesh Shekhawat said...

अनिल जी शिक्षा को उम्र के बंधन में नहीं बाँधने के बारे में आपके विचार से मैं सहमत हूं.