भारत के प्रधान न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन ने शनिवार को चेताया कि लंबित मामलों के निपटारे में अत्यधिक देरी के कारण लोग विद्रोह करने को मजबूर होंगे और इससे न्यायिक प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश ने निचली अदालतों की संख्या को दोगुना करके 35000 हजार करने की पुरजोर वकालत की। बालाकृष्णन ने एक सम्मेलन में कहा कि हम इतने अधिक समय तक लंबित मामलों को बनाए रखना वहन नहीं कर सकते। लोग विद्रोह कर देंगे तो व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि लोगों का न्यायपालिका में विश्वास है और लोगों को लगता है कि उन्हें आज या कल या इससे आगे न्याय मिलेगा लेकिन वह कितना इंतजार कर सकते हैं। न्यायमूर्ति बालाकृष्णन ने कहा कि इतनी अधिक देरी किसी भी स्थिति में नहीं होनी चाहिए। इसमें कमी लाई जानी चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश ने इसके लिए अदालतों की कम संख्या और न्यायाधीशों के रिक्त पदों को इसके लिए जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि देश में अदालतों की संख्या पर्याप्त नहीं है और निचली अदालतों में जहां न्यायाधीशों के 16000 पद है, वहीं 2000 पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा कि देश में निचली अदालतों की संख्या लगभग 16000 हजार है और इसे बढ़ाकर 35,000 किया जाना चाहिए।
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