उच्चतम न्यायालय ने एक फैसला देते हुए कहा है कि विभिन्न प्रदेशों से केंद्रीय जांच ब्यूरो में प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी वरिष्ठता का दावा ब्यूरो में अपने समायोजन की तिथि से कर सकते हैं न कि अपनी प्रतिनियुक्ति की तिथि से।
न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की खंड पीठ ने यह फैसला दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले को पलटते हुए दिया है। उच्च न्यायालय ने सीबीआई के पुलिस उपाधीक्षक डीपी सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उनकी पदोन्नति उनकी प्रतिनियुक्ति की तारीख 24 नवंबर, 1977 के आधार पर की जानी चाहिए, न कि उनके समायोजन की तारीख 29 जून, 1987 के आधार पर।
नियमानुसार विभिन्न प्रदेशों के पुलिस अधिकारी निश्चित अवधि के लिए सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं, जिसके बाद वापस अपने विभाग की ओर जा सकते हैं। नियमानुसार अधिकारी आपसी सहमति से सीबीआई में समायोजित भी हो सकते हैं।
अदालत द्वारा सिंह के पक्ष में फैसला दिए जाने के बाद सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की खंड पीठ ने यह फैसला दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले को पलटते हुए दिया है। उच्च न्यायालय ने सीबीआई के पुलिस उपाधीक्षक डीपी सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उनकी पदोन्नति उनकी प्रतिनियुक्ति की तारीख 24 नवंबर, 1977 के आधार पर की जानी चाहिए, न कि उनके समायोजन की तारीख 29 जून, 1987 के आधार पर।
नियमानुसार विभिन्न प्रदेशों के पुलिस अधिकारी निश्चित अवधि के लिए सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं, जिसके बाद वापस अपने विभाग की ओर जा सकते हैं। नियमानुसार अधिकारी आपसी सहमति से सीबीआई में समायोजित भी हो सकते हैं।
अदालत द्वारा सिंह के पक्ष में फैसला दिए जाने के बाद सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment