पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, December 19, 2009

मीडिया से रूबरू सही ट्रेंड नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट


दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि सुनवाई के बाद वकीलों द्वारा मीडिया से रूबरू होना सही ट्रेंड नहीं है। न्यायालय ने कहा कि आमतौर पर वकील खुद ही मीडिया को अपडेट करते हैं। चीफ जस्टिस अजीत प्रकाश शाह और न्यायमूर्ति एस मुरलीधर की खंडपीठ ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया को इस मामले में कोई निर्णय लेने के लिए कहा है। खंडपीठ ने कहा कि लंबित मामले की सुनवाई के बाद वकील अदालत परिसर से बाहर जाकर मीडिया को सारी बातें बताते हैं, जो परेशानी वाली बात है।
उधर सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि लोगों तक खबर पहुंचाना मीडिया का काम है। लेकिन उन्होंने इस याचिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस मसले में सरकार, प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया और याचिकाकर्ता को आपस में बैठकर विचार करना चाहिए। न्यायालय एक गैर सरकारी संस्था द्वारा दाखिल याचिका पर दिया है। संस्था ने याचिका में गत वर्ष 19 सितंबर को हुए बटला हाउस एनकाउंटर मामले से संबंधित कथित आरोपियों के इकबालिया बयान को मीडिया तक पहुंचाने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार की गई थी।
याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि पुलिस अधिकारी द्वारा संवाददाता सम्मेलन आयोजित करना और प्रेस रिलीज जारी करने पर भी यह सिद्धांत लागू होता है। उन्होंने कहा कि यह तय करना अदालत का काम है कि कोई व्यक्ति निर्दोष है या गुनहगार। किसी व्यक्ति के दोषी होने या न होने संबंधी बयान अदालत को छोड़़कर मीडिया के समक्ष देना गलत है। पुलिस अधिकारियों को इसके लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए। इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि गंभीर मामलों की रिपोर्टिंग करते वक्त मीडिया को अपनी हद तय करनी चाहिए।

0 टिप्पणियाँ: