राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि किसी मामले में अधीनस्थ अदालत के फैसले के विरूद्ध दायर याचिका पर एकलपीठ के निर्णय के खिलाफ खण्डपीठ में विशेष अपील दायर नहीं की जा सकती। हाईकोर्ट न्यायाधीश प्रकाश टाटिया व दिनेश माहेश्वरी की खण्डपीठ ने दीवानी मामलों में अधीनस्थ अदालतों के आदेश के विरूद्ध एकलपीठ द्वारा याचिकाओं में दिए निर्णय के विरूद्ध दायर विशेष अपीलों को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
खण्डपीठ ने 47 पृष्ठों के विस्तृत फैसले में कहा कि अधीनस्थ अदालत के फैसले के विरूद्ध हाईकोर्ट में याचिका सामान्यत: संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दायर की जाती है। ये याचिकाएं हाईकोर्ट में सुपरवाइजरी क्षेत्राधिकार के तहत दायर की जाती है। इन याचिकाओं को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट के मूल क्षेत्राधिकार के तहत दायर याचिकाओं के समान नहीं देखा जा सकता।
खण्डपीठ ने कहा कि अनुच्छेद 227 के तहत दायर रिट याचिका में दिए एकलपीठ के निर्णय के विरूद्ध नियम 134 के तहत अपील का प्रावधान है, इसलिए खण्डपीठ में विशेष अपील पोषणीय नहीं है। खण्डपीठ ने कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत उसका मूल क्षेत्राधिकार है, जबकि अनुच्छेद 227 के तहत मूल क्षेत्राधिकार नहीं, बल्कि पर्यवेक्षण क्षेत्राधिकार मात्र है।
खण्डपीठ ने कहा कि अनुच्छेद 227 के तहत एकलपीठ द्वारा पारित निर्णय के विरूद्ध खण्डपीठ में अपील दायर करने के लिए कोई कानूनी प्रावधान व नियम ही नहीं है। राजस्थान केश फ्लो मेनेजमेंट नियम 2006 के नियम 8बी के तहत भी ऎसे मामलों में अपील का प्रावधान नहीं है। खण्डपीठ के इस महत्वपूर्ण फैसले से हाईकोर्ट में विचाराधीन सैकड़ों मामले निस्तारित हो जाएंगे तथा अब दीवानी मामलों में एकलपीठ के निर्णय के विरूद्ध पक्षकारों को याचिका सुप्रीम कोर्ट में ही दायर करनी होगी।
खण्डपीठ ने 47 पृष्ठों के विस्तृत फैसले में कहा कि अधीनस्थ अदालत के फैसले के विरूद्ध हाईकोर्ट में याचिका सामान्यत: संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दायर की जाती है। ये याचिकाएं हाईकोर्ट में सुपरवाइजरी क्षेत्राधिकार के तहत दायर की जाती है। इन याचिकाओं को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट के मूल क्षेत्राधिकार के तहत दायर याचिकाओं के समान नहीं देखा जा सकता।
खण्डपीठ ने कहा कि अनुच्छेद 227 के तहत दायर रिट याचिका में दिए एकलपीठ के निर्णय के विरूद्ध नियम 134 के तहत अपील का प्रावधान है, इसलिए खण्डपीठ में विशेष अपील पोषणीय नहीं है। खण्डपीठ ने कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत उसका मूल क्षेत्राधिकार है, जबकि अनुच्छेद 227 के तहत मूल क्षेत्राधिकार नहीं, बल्कि पर्यवेक्षण क्षेत्राधिकार मात्र है।
खण्डपीठ ने कहा कि अनुच्छेद 227 के तहत एकलपीठ द्वारा पारित निर्णय के विरूद्ध खण्डपीठ में अपील दायर करने के लिए कोई कानूनी प्रावधान व नियम ही नहीं है। राजस्थान केश फ्लो मेनेजमेंट नियम 2006 के नियम 8बी के तहत भी ऎसे मामलों में अपील का प्रावधान नहीं है। खण्डपीठ के इस महत्वपूर्ण फैसले से हाईकोर्ट में विचाराधीन सैकड़ों मामले निस्तारित हो जाएंगे तथा अब दीवानी मामलों में एकलपीठ के निर्णय के विरूद्ध पक्षकारों को याचिका सुप्रीम कोर्ट में ही दायर करनी होगी।
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