एक युवती ने पहले तो पति के व्यावसायिक सहयोगी पर बलात्कार की प्राथमिकी दर्ज करवाई और मजिस्ट्रेट के समक्ष भी बयान दिए, लेकिन अदालत में सुनवाई के दौरान युवती अपने पूर्व बयानों से मुकर गई। बलात्कार से इनकार करते हुए पति के दवाब में आकर झूठी रिपोर्ट व बयान देने का कहा। संगीन मामले में गवाह के बयान बदलने को फास्ट-ट्रेक अदालत क्रम-एक जयपुर शहर ने गम्भीर माना है।
अदालत ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 193 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जयपुर शहर के यहां बयान बदलने वाली युवती के खिलाफ परिवाद दायर करने के आदेश दिए है, ताकि झूठे मुकदमों की प्रवृत्ति हतोत्साहित हो सके। इससे अदालत ने बलात्कार के मामले में आरोपी महेन्द्र कुमार रैगर को दोषमुक्त कर दिया और युवती को नोटिस देकर स्पष्टीकरण देने को कहा।
भाजपा टिकट लेने के लिए उधारी...
अदालत के नोटिस पर बलात्कार का आरोपी लगाने वाली पीडिता ने जवाब दिया कि उसके पति ने बगरू विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट लेने के लिए काफी पैसे खर्च किए। हालांकि उसे टिकट नहीं मिला। व्यवसाय में सहयोगी महेन्द्रकुमार रैगर से भी काफी पैसा उधार लिया। उसके पति उधार का पैसा नहीं देना चाहते थे। महेन्द्र पर दबाव डालने के लिए पति ने उसका इस्तेमाल किया और झूठा आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज करवाई। मजिस्ट्रेट के समक्ष भी दबाव में बयान दिए। बाद में अदालत में अंतर्अात्मा से सही बयान दिए है। आरोपी निर्दोष है, उसके खिलाफ झूठा साक्ष्य पेश किया गया है।
पति बोला-दोनों के बीच थे सम्बन्ध
इस मामले में पति ने भी अदालत में जवाब में कहा कि बलात्कार की प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए पत्नी पर कोई दबाव नहीं डाला और न ही उसने महेन्द्र से कोई पैसे उधार लिए। दोनों के बीच सम्बंध थे, रंगे हाथों पकड़ा तो उसकी पत्नी ने इस कृत्य की माफी मांगी। फिर स्वेच्छा से महेन्द्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई। धारा 193 में कार्यवाही सम्बंधी नोटिस से बचाव के लिए उस पर 498ए का झूठा मुकदमा दर्ज करवाया है।
Wednesday, April 28, 2010
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