पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, November 2, 2010

ब्लूलाइन बसों पर लगे प्रतिबंध को कोर्ट की मंजूरी


दिल्ली उच्च न्यायालय ने ब्लूलाइन बसों को हटाने के राष्ट्रीय राजधानी की सरकार के फैसले पर सोमवार को रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि ब्लूलाइन संचालकों की रोजी रोटी से ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों की जिंदगी है।

न्यायमूर्ति संजीव किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने बस संचालकों की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि ब्लूलाइन बसों पर रोक लगाने से उनकी रोजी रोटी छिन जाएगी। पीठ ने कहा कि उन लोगों के परिजनों की रोजी रोटी का क्या होगा जिन्होंने ब्लूलाइन बसों की वजह से अपनी जिंदगी खो दी।

अदालत ने दिल्ली सरकार द्वारा 27 अक्टूबर को राजधानी से ब्लूलाइन बसों के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगाने संबंधी अधिसूचना पर स्थगनादेश देने से इंकार कर दिया। अदालत ने हालांकि संचालकों की फरियाद भी सुनने पर सहमति जताई और सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए कहा। इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए अगले वर्ष 10 जनवरी की तारीख मुकर्रर की गई है।

अदालत ने ब्लूलाइन बसों के संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया। इस याचिका में ब्लूलाइन बसों को बंद करने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना से स्वीकृति मिलने के बाद सरकार ने इन बसों को हटाने के लिए 27 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की थी।

दिल्ली सरकार ने राजधानी में ब्लूलाइन बसें पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के लिए 14 दिसंबर की तारीख तय की है।

अब विदेशों से परीक्षा संचालन सीखेंगे राज्य आयोगों के अध्यक्ष

देश के राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्ष अब परीक्षा संचालन व अन्य व्यवस्थाओं की बेहतरीन प्रणाली सीखने के लिए विदेश यात्राएं करेंगे। यूपीएससी ने केन्द्र सरकार से इस संबंध में अनुमति प्राप्त कर ली है। मामले की जानकारी देते हुए नेशनल कान्फ्रेंस ऑफ चेयरपर्सन्स ऑफ पब्लिक सर्विस कमीशंस की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन व आन्ध्र प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. वाई वेंकटरामी रेड्डी ने बताया कि इसके लिए फिलहाल, छह देश चयनित किए गए हैं। इसमें इंग्लैंड, जापान, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका व कनाडा शामिल हैं।

डॉ. रेड्डी के अनुसार कुछ वर्ष पूर्व तक राज्य के आयोगों के अध्यक्षों को विदेश जाने की छूट थी। अब इसे वापस लागू किया जा रहा है। डॉ. रेड्डी ने बताया कि देश के सभी 28 आयोगों के अध्यक्ष हर वर्ष किसी न किसी राज्य में सम्मेलन आयोजित करते हैं। इसमें राज्य आयोगों में चल रही अच्छी प्रक्रियाओं को साझा करने के साथ ही विभिन्न समस्याओं पर भी चर्चा की जाती है। इसी क्रम में अगले साल जनवरी में महाराष्ट्र में कान्फ्रेंस आयोजित किया जाएगा। स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में आज इसके लिए एजेन्डा निर्धारित किया गया। उन्होने बताया कि अध्यक्षों व सदस्यों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 62 साल से बढ़ा कर 65 साल करने की मांग पिछले कई वर्ष से की जा रही है। इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है। सरकार ने हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की आयु सीमा बढ़ा दी है। इसी क्रम में आयोगों के लिए भी आयु सीमा बढ़ाने की जरूरत है। बैठक में इसके साथ ही देश में आयोग के अध्यक्षों व सदस्यों के क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। यह सम्मेलन नेशनल कान्फ्रेंस से पहले आयोजित होंगे। उत्तरी राज्यों का सम्मेलन इस साल उत्तर प्रदेश में, दक्षिणी राज्यों का कर्नाटक में, पूर्वी राज्यों का बिहार में, पश्चिमी राज्यों का राजस्थान में व पूर्वोत्तर के राज्यों का सम्मेलन आसाम में आयोजित किया जाएगा। इनमें होने वाले निर्णयों की चर्चा नेशनल कान्फ्रेंस में की जाएगी। बैठक में उत्तर प्रदेश समेत कुल नौ राज्यों के लोक सेवा आयोगों के अध्यक्ष उपस्थित रहे। इनके साथ ही यूपीएससी के उप सचिव किशन लाल भी उपस्थित रहे।

राखी सावंत को कोर्ट में घसीटा

अक्सर विवाद में रहने वाली राखी सावंत एक बार फिर सुर्खियों में हैं। राखी सावंत का टीवी शो 'राखी का इंसाफ' कानूनी पचड़े में फंसता नजर आ रहा है। मुंबई के एक वकील को इस शो में राखी सावंत की अदाएं और उनका तौर तरीका नागवार गुजरा है। वकील सुशन कुंजुरमन ने बांबे हाई कोर्ट में इस बाबत एक जनहित याचिका दायर की है। सुशन का कहना है कि इस शो में राखी सावंत के तौर तरीके बेहद आपत्तिजनक हैं और इसमें न्यायपालिका का मखौल उड़ाया गया है।

वकील के मुताबिक इस शो में राखी सावंत जिस तरह की आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करती हैं, वह कानून, न्याय, नियमों, जजों, पुलिस मशीनरी, वादी और उनके परिवार वालों, अदालत और महिलाओं के कल्याण के लिए बने संगठनों, सबके मान-सम्मान को ठेस पहुंचाती है।

सुशन ने शो पर तुरंत प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई कुछ दिनों में शुरू होगी। इस कार्यक्रम के निर्माता को केस की कॉपी भेज दी गई है। हालांकि, निर्माता का कहना है कि उसे कोर्ट की ओर से भेजा गया कोई नोटिस नहीं मिला है।


कैसे करती हैं राखी 'इंसाफ'

एनडीटीवी इमेजिन पर प्रसारित होने वाले इस शो में राखी सावंत आम लोगों को बुलाकर उनकी समस्याएं सुनती हैं और फैसले सुनाती हैं। आम तौर पर इस शो में शामिल होने वाले लोग विवाहेत्तर संबंध, शराबी पति, सास-ससुर द्वारा प्रताड़ना और पत्नी को पीटने जैसी घरेलू लेकिन जटिल समस्याएं लेकर आते हैं। इस शो की एंकर राखी ने शो शुरू होने से पहले दावा किया था कि उनके पास ऐसी परेशानियों का हल है। राखी के मुताबिक उनका शो लोगों को कानूनी इंसाफ नहीं दिलाएगा। उनके मुताबिक यह शो उन लोगों के लिए है जो कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाए बिना अपनी घरेलू परेशानियों से निजात पाना चाहते हैं।

राखी के मुताबिक वे अपनी अनूठी स्टाइल, ईमानदारी, बिंदास रवैये और बहिर्मुखी स्वभाव के चलते लोगों की दिक्कतें दूर करेंगी। उनका यह भी कहना है कि वह अपने दिल से निकले उपायों से लोगों की मुश्किलें कम करती हैं। उनका यह भी कहना है कि वह पुलिस नहीं हैं। न ही उनके पास पढ़ाई-लिखाई की कोई डिग्री है। लेकिन राखी का कहना है कि उनके पास जीवन प्रबंधन की डिग्री है।

तलाक के लिए अदालत पहुंचीं आशा भोंसले की बहू

दिग्गज गायिका आशा भोंसले की बहू साजिदा उर्फ रमा भोसले ने क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए परिवार अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इस अदालत ने आशा के बेटे और संगीत निर्देशक हेमंत भोसले को अंतरिम गुजारा भत्ता के रूप में अपनी पत्नी साजिदा को 25 हजार रुपए प्रति माह देने का आदेश दिया।

बांद्रा में परिवार अदालत ने हाल में साजिदा की तलाक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। साजिदा ने आरोप लगाया था कि उसके साथ 1985 में शादी के बाद से बुरा बर्ताव हो रहा है।

पिछले वर्ष एयर इंडिया की विमान परिचायिका के पद से सेवानिवृत्त हुई साजिदा ने अपनी याचिका में प्रति माह पांच लाख रुपए के गुजारे भत्ते की मांग करते हुए कहा कि हेमंत ने मेरा अपमान किया और अंतत: वर्ष 2003 में एक ब्रिटिश महिला के लिए मुझे छोड़कर चला गया।

उन्होंने हालांकि अपनी सास आशा भोसले के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाए हैं। साजिदा ने अपने पति पर संपत्ति बेचने संबंधी कई आरोप लगाए हैं।

उधर 61 वर्षीय हेमंत का कहना है कि साजिदा गुजारा भत्ता लेने की हकदार नहीं हैं क्योंकि वह पैसे कमा रही हैं और उनकी अच्छी खासी आमदनी है।

उन्होंने कहा कि उनके पास मुंबई में कोई संपत्ति नहीं है और पंचगनी बंगला उनकी मां आशा का है। हेमंत ने कहा कि उनके पास स्काटलैंड में संपत्ति है जिसका मालिकाना हक संयुक्त रूप से उनके और एक ब्रिटिश महिला के बीच है।