पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, April 30, 2009

क्वात्रोच्चि मामले में आज कोर्ट में अहम सुनवाई

राजनीतिक रूप से संवेदनशील बोफोर्स दलाली मामले में दिल्ली की एक अदालत में गुरुवार को महत्वपूर्ण सुनवाई होगी, जिसमें ऐसी संभावना है कि सीबीआई इस मामले के मुख्य अभियुक्त एवं इतालवी कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि का नाम वांछित लोगों की सूची से हटाने के विवादास्पद निर्णय को जायज ठहराएगी। 

जांच एजेंसी मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्स्ट्रेट कावेरी बवेजा के समक्ष इस विदेशी नागरिक को अदालत के समक्ष पेश करने के अपने प्रयास के बारे में स्थिति रिपोर्ट पेश करेगी। उल्लेखनीय है कि सीबीआई की सलाह पर इंटरपोल का क्वात्रोच्चि के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस वापस लिया गया। 

यह सुनवाई महत्वपूर्ण है, क्योंकि सीबीआई ने यह रुख अख्तियार किया है कि इस भगोड़े को पकड़ने का प्रयास जारी है, जिसके खिलाफ निचली अदालत ने 7 नवंबर, 1999 को गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था।

पितृत्व अवकाश को गंभीरता से लें

राजधानी के एक प्राइवेट स्कूल के अध्यापक द्वारा पितृत्व अवकाश के लिए हाई कोर्ट में डाली याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने पिछले दिनों स्कूल प्रबंधन एवं दिल्ली सरकार को नोटिस भेजा, जिसके चलते यह मसला नए सिरे से सुर्खियों में आया है। इस अध्यापक ने जनवरी में अपने स्कूल से 15 दिन का पितृत्व अवकाश लिया। छुट्टी से काम पर लौटने के बाद पता चला कि उसका 15 दिन का वेतन काट लिया गया है। स्कूल प्रशासन ने पितृत्व अवकाश देने से मना कर दिया था। इस मामले को जाने-माने वकील तथा सामाजिक कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल ने कोर्ट के समक्ष जवाब पेश कर याचिका को जनहित याचिका में बदलने की पेशकश की है। 

मातृत्व और पितृत्व अवकाश की सुविधा को लेकर लोगों में यह भ्रम हो सकता है कि सरकारी सोच पुरुषों के बजाय महिलाओं के पक्ष में कुछ ज्यादा ही झुकी हुई है। मातृत्व अवकाश, जो पहले तीन महीने था उसे 6 माह करने का प्रस्ताव आया, फिर दो साल की छुट्टी की सुविधा माताओं को मिली जो कि वे अपने बच्चों के 18 साल का होने तक बच्चे की जरूरत के हिसाब से कभी भी ले सकती हैं। लेकिन पितृत्व अवकाश 15 दिन ही रहा और वह भी आसानी से नहीं मिलता।

क़साब को चाहिए परफ़्यूम और अख़बार

मुंबई बम हमलों के मुख्य अभियुक्त अजमल आमिर क़साब ने टूथपेस्ट, परफ़्यूम और उर्दू अख़बार के साथ ही अपनी कोठरी के बाहर जेल के अहाते में टहलने की इजाज़त माँगी है.

मुंबई की विशेष अदालत में क़साब के वकील अब्बास काज़मी ने ये माँगें रखीं. उनका कहना था कि उनके मुवक्किल को 'खुली हवा' की ज़रूरत है और इसलिए उन्हें अपनी कोठरी से बाहर आने की अनुमति मिलनी चाहिए. 

क़साब मुंबई की उच्च सुरक्षा वाली आर्थर रोड जेल में बंद है और जेल में एक विशेष अदालत बनाई गई है जहाँ मामले की सुनवाई चल रही है. 

अब्बास काज़मी ने बीबीसी को बताया कि उनके मुवक्किल 'उस कोठरी में बंद बंद सा महसूस कर रहे हैं इसलिए वह कुछ खुली हवा चाहते हैं.' 

क़साब ने अपने वकील काज़मी को उर्दू में लिखी चिट्ठी में सभी चीज़ों की माँग की.

26/11 के संदिग्धों की जांच 5 मई तक होगी पूरी

पाकिस्तान की एक आतंकवाद विरोधी अदालत ने अधिकारियों से मुंबई हमलों के पांच संदिग्धों के मामले की जांच 5 मई तक पूरी करने को कहा है। इन संदिग्धों में लश्कर-ए-तैएबा का संचालक जकीउर रहमान लखवी भी शामिल है। 

रावलपिंडी में आतंकवाद विरोधी अदालत के जज साखी मोहम्मद काहुत ने मंगलवार को संघीय जांच एजंसी को भी आदेश दिया कि 5 मई तक पांचों संदिग्धों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाए। जज ने कहा कि पांचों संदिग्धों के खिलाफ ट्रायल शुरू करने के लिए यह सब करना जरूरी है। लखवी के अलावा चार अन्य संदिग्ध हैं - जरार शाह, हामद अमीन सादिक, अबू अल कामा और शाहिद जमील रियाज। 

कोर्ट ने ये निर्देश जांच एजंसी द्वारा चार्जशीट तैयार करने के लिए और समय मांगे जाने के बाद दिए। जज काहुत रावलपिंडी की हाई सिक्यूरिटी आदियाला जेल में बंद पांचों संदिग्धों के केस की सुनवाई कर रहे हैं। गृह मंत्री रहमान मलिक ने हाल ही में मुंबई हमले के सिलसिले में छठवें संदिग्ध की गिरफ्तारी की पुष्टि की थी। हालांकि इस संदिग्ध की पहचान अभी तक उजागर नहीं की गई है।

Wednesday, April 29, 2009

क्वोत्रोची पर सीबीआई के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती

नई दिल्ली| दिल्ली के एक वकील ने इटली के व्यापारी आतोवियो क्वोत्रोची को बोफोर्स दलाली मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा बरी किए जाने के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में मंगलवार को चुनौती दी है। वकील अजय के.अग्रवाल ने क्वात्रोची के खिलाफ इंटरपोल द्वारा जारी रेड कार्नर नोटिस को वापस लिए जाने के निर्णय के खिलाफ स्थगन आदेश जारी करने की मांग की है। वर्ष 1980 के मध्य चर्चा में आए बोफोर्स तोप सौदे में कथित तौर पर दलाली लेने के मामले में क्वात्रोची भारत में वांछित रहा है। 

अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया कि अदालत में उनकी याचिका को सुनवाई के लिए पंजीकृत किया जाना अभी बाकी है। 

अग्रवाल ने इसके पहले लंदन में स्थित क्वात्रोची के बैंक खातों को मुक्त करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ भी सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। 

अग्रवाल ने अदालत से मांग की है कि वह सरकार को आदेश दे कि वह क्वात्रोची को अति वांछित सूची से बरी करने के बदले उसे गिरफ्तार करे और भारत लाए। 

अग्रवाल ने बोफोर्स दलाली मामले में कथित भूमिका के लिए एक स्थानीय अदालत में जारी मुकदमे की सुनवाई के दौरान क्वात्रोची की पेशी सुनिश्चित कराने के लिए भी जनवरी 2006 में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। 

अग्रवाल की एक याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने 16 जनवरी 2006 को सरकार को दिए अपने आदेश में क्वात्रोची के खातों को मुक्त न होने देने की व्यवस्था सुनिश्चित कराने को कहा था।

अधिकारी शहंशाह नहीं कि जो चाहे कर डालें: हाईकोर्ट

पटना बियाडा से 135 कर्मचारियों के हटाये जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने अधिकारियों पर तल्ख टिप्पणी की। न्यायाधीश नवीन सिन्हा की अदालत ने मंगलवार को कहा कि बड़े अफसर खासकर आईएएस अधिकारी शाहजहां अकबर और बहादुर शाह जफर तो नहीं हैं कि जैसा चाहा फरमान जारी कर दिया।

बियाडा से बर्खास्त किये गये राम प्रवेश सिंह के मामले पर आज सुनवाई अधूरी रही किन्तु प्रारंभिक सुनवाई में ही अदालत भौंचक रह गयी। कोर्ट ने यह देखने के लिए रिकार्ड मंगवाया था कि आखिर बियाडा कर्मियों को किस प्रक्रिया के तहत हटाया गया। क्या इन्हें हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनायी गयी? कारण बताओ नोटिस और अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया? कर्मियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही चलायी गयी? यदि नहीं तो किस आधार पर इतना बड़ा फैसला लिया गया। रिकार्ड देखने पर कोर्ट को किसी सवाल का जबाव नहीं मिला तो क्षुब्ध होकर अदालत ने आईएएस अधिकारियों के कार्यकलाप की भ‌र्त्सना की। इसके साथ ही पर्याप्त समय नहीं रहने के कारण मामले पर आज पूरी सुनवाई पूरी नहीं हो पायी। अदालत को पीड़ित पक्षों के वकीलों ने बताया कि पिछले वर्ष कुल मिलाकर 134 बियाडाकर्मियों को सिर्फ इस लिए हटा दिया गया क्योंकि ये कर्मचारी कंाट्रेक्ट पर दस्तखत करने के लिए तैयार नहीं थे। इन कर्मचारियों को साफ तौर पर हिदायत दी गयी थी कि नौकरी पर रहना है तो कांट्रेक्ट पर हस्ताक्षर करना ही होगा। बियाडा के एमडी पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों को नये सिरे से कांट्रेक्ट के आधार पर नियुक्ति पत्र थमाना चाहते थे। राजी नहीं होने पर राज्य भर के जिलों कार्यरत कर्मचारियों को घर का रास्ता दिखा दिया गया।

प्रेमी युगल ने की कोर्ट में शादी

आमस (गया)। मंगलवार को शेरघाटी व्यवहार न्यायालय परिसर में प्रेमी जोड़े को देखने के लिए खचाखच भीड़ लगी थी। मौका था दो प्रेमी की कोर्ट मैरिज का। झारखंड राज्य का अरूण कुमार उसकी प्रेमिका आरती कुमारी घर से भागकर मंगलवार को शेरघाटी कोर्ट पहुंचे एवं वकील के साथ लेख्य प्रमाणक अधिकारी के समक्ष उपस्थित हुये। अरूण एवं आरती ने साथ जीने-मरने की कसम खाकर एक दूजे के हो गये। शादी से खुश अरूण ने बताया कि मै आरती से बेहद प्यार करता हूं और शादी करना चाहता था। पर आरती मेरी जाति की नहीं थी। जिस कारण दोनों के परिवार शादी करना नहीं चाहते थे। जबकि मै बिना आरती के एक मिनट भी नहीं रह सकता हूं। इसलिए हम दोनों ने फैसला लिया कि कोर्ट मैरेज करके जीवन की नई शुरूआत करें। शादी के बाद प्रेमी युगल को कई लोगों ने कोर्ट परिसर में आर्शीवाद दिया।

कानून के रखवालों ने मां-बेटे को दी यातनाएं

श्रीमाधोपुर. ढाल्यावास के एक व्यक्ति ने डीएसपी व थानाधिकारी पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां दायर इस्तगासे में कहा गया है कि थानाधिकारी व पुलिसकर्मियों ने उसकी पत्नी के साथ मारपीट कर शरीर पर जलती सिरगेट दागी और तेरह वर्षीय बेटे के गुप्तांगों पर गर्म चिमटे लगाए। दरअसल यह प्रताड़ना चोरी कबूल करवाने के लिए दी गई।

मामले के अनुसार ढाल्यावास के चिरंजीलाल योगी ने इस्तगासा दायर किया है कि उसके पड़ोसी जगदीश जाट ने चोरी का मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें पीड़ित परिवार पर आरोप लगाया गया था। 24 अप्रैल को उसकी पत्नी लक्ष्मी देवी व बेटे कैलाश को पुलिस थाने ले आई। 

थानाधिकारी राजीव राहड़, एएसआई मदनसिंह व अन्य पुलिसकर्मियों ने शराब के नशे में जमीन पर पटकर पाइप, डंडों से पीटना शुरू कर दिया। इस दौरान लक्ष्मी के शरीर पर आलपिनें चुभोई, जलती हुई सिगरेट दागी। यह सब जगदीश के यहां हुई चोरी की वारदात कबूल कराने के लिए किया। वहीं मौजूद उसके बेटे कैलाश के गुप्तांगों पर गरम चिमटे दागे व दामाद हरिराम के साथ मारपीट की। 

25 अप्रेल को फिर पीटाई की और कहा कि, रींगस से डीएसपी निर्मल सिंह आ रहे हैं। उनके सामने अपराध कबूल कर लेना। इसके बाद लक्ष्मी देवी को गिरफ्तार दिखाकर मंगलवार को एसीजेएम न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमाधोपुर शहाबुद्दीन ने जेल भेज दिया। इधर, मामले की शिकायत राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक को भेजी गई है। घटना को लेकर ग्रामीणों में बेहद आक्रोश है। उधर, थानाप्रभारी राजीव राहड़ का कहना है कि इस्तगासे में लगाए सभी आरोप निराधार व झूठे हैं। कोर्ट के फैसले के बाद सच सामने आ जाएगा।

अनिल अंबानी हैलिकॉप्‍टर मामले के चश्‍मदीद गवाह की मौत

अनिल अंबानी की हत्या की साजिश के मामले में सनसनीखेज मोड़ आ गया है. इस मामले के एक गवाह भरत भोर्गे की रहस्यमय हालात में मौत हो गई है. भोर्गे का शव मंगलवार को मुंबई के एक रेलवे स्टेशन के पास पड़ा मिला.
 भोर्गे एक मकैनिक थे. इन्होंने ही अंबानी के हेलिकॉप्टर में सबसे पहले कंकड़-पत्थरों को देखा था. ये कंकड़ इंजन को खराब कर सकते थे और हेलिकॉप्टर क्रैश हो सकता था. माना जा रहा है कि यह अनिल अंबानी की हत्या की साजिश हो सकती है. भरत का शव लोकल ट्रेन से कटी हुई हालत में मिला है.
उधर हेलिकॉप्टर में तोड़फोड़ के मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस ने अब डाइरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) और विशेषज्ञों से इस मसले पर राय मांगी है ताकि जांच के नतीजों को पुख्ता किया जा सके. अधिकारियों ने हेलिकॉप्टर के गियर बॉक्स में मिले सात पत्थरों को भी फरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) जांच के लिए भेजा है ताकि इनके प्रकार और बनावट का पता लग सके.

वरूण पर रासुका, फैसला आज

वरूण गांधी पर उत्तर प्रदेश द्वारा लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) पर इलाहाबाद हाईकोर्ट मंगलवार दोपहर बाद अंतिम फैसला देगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के वरिष्ठ जज प्रदीप कांत की अघ्यक्षता में रासुका पर गठित सलाहकार बोर्ड इस मामले पर फैसला सुनाएगा। बोर्ड में दो रिटायर्ड जज सदस्य हैं।
सूत्रों के अनुसार वरूण गांधी 3:30 बजे बोर्ड के सामने पेश होंगे। यह कार्रवाई पूर्ण गोपनीय होगी। यह बोर्ड रासुका मामले में अंतिम फैसला करने में सक्षम है। बोर्ड के आज के फैसले में यह तय हो जाएगा कि वरूण पर रासुका जारी रहेगा या नहीं। कानूनन बोर्ड में पेशी के समय वरूण के साथ उनके वकील नहीं होंगे।

कसाब नाबालिग नहीं, जांच रिपोर्ट का खुलासा

मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान जिंदा पकडे गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब की उम्र 20 वर्ष से अधिक है। यह उसकी उम्र का निर्धारिण के लिए की गई चिकित्सकीय जांच में स्पष्ट हुआ है। मुंबई की विशेष अदालत में मंगलवार को चिकित्सकों की जांच रिपोर्ट पेश की गई, जिसके अनुसार अजमल कसाब की उम्र 20 वर्ष से अधिक है। मुंबई के जेजे अस्पताल के चार वरिष्ठ चिकित्सकों ने विशेष अदालत के न्यायाधीश एमएल तहलियानी के निर्देश पर कसाब की सही उम्र का पता लगाने के लिए उसके चिकित्सकीय परीक्षण किए थे।
कसाब की उम्र जांचने के लिए डॉक्टरों ने उसके दांतों और उसकी हडि्डयों से संबंधित परीक्षण किए। ज्ञात रहे अजमल कसाब के वकील ने गत 24 अप्रैल को विशेष अदालत के न्यायाधीश एमएल तहलियानी के समक्ष यह दलील दी थी कि कसाब की उम्र 17 वर्ष है और इसलिए उस पर बाल अदालत में मुकदमा चलना चाहिए, न कि विशेष अदालत में। इस पर न्यायाधीश एमएल तहलियानी ने चिकित्सकों को कसाब की जांच करके उसकी उम्र निर्धारित करने का आदेश दिया था।

Wednesday, April 22, 2009

कोर्ट में जज पर तेजाब फेंका

आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के काकीनाडा में स्थित कोर्ट के अंदर एक व्यक्ति ने जज पर तेजाब फेंक दिया। इस हमले में जिला मैजिस्ट्रेट घायल हो गये। काकीनाडा पुलिस ने बताया कि थर्ड अडिशनल जिला एवं सेशन जज एन. मारूति शर्मा के चेहरे पर एक व्यक्ति ने कोर्ट में ही तेजाब फेंक दिया। शर्मा को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। पुलिस ने कहा कि तेजाब फेंकने वाले व्यक्ति की पहचान सूर्यनारायण के रूप में हुई है, जिसे घटना के तुरंत बाद हिरासत में ले लिया गया। गिरफ्तार व्यक्ति अपने से जुड़े एक मामले की सुनवाई के लिये अदालत में मौजूद था। पुलिस के मुताबिक इस बात की जांच की जा रही है कि आखिर किस वजह से इस व्यक्ति ने ऐसा कदम उठाया।

अमरमणि को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के सिलसिले में उम्रकैद की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी को जमानत देने से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति आरवी रवीन्द्रन और न्यायमूर्ति जेएम पांचाल की खंडपीठ ने हालांकि उत्तराखंड हाईकोर्ट को सलाह दी कि वह त्रिपाठी की अपील पर त्वरित सुनवाई करे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपाठी की अपील पर सुनवाई के लिए कोई समय सीमा निर्धारित करने से मना कर दिया।

लादेन और कसाब का भी राशन कार्ड

एमएनएस के अध्यक्ष राज ठाकरे ने वोटर लिस्ट तैयार करने में होनेवाली गड़बड़ी को साबित करने के लिए आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन और मुंबई हमले के मामले में गिरफ्तार कसाब का पुणे में बना जाली राशन कार्ड पेश किया है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में वोटरों की सूचियां राशन कार्ड की मदद से बनायी गयी हैं. राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र भारत का अकेला ऐसा राज्य है, जहां राशन कार्ड में फ़ोटो नहीं होता है. राज ने अपनी पार्टी के लोगों से इस तरह के फ़रजी वोटरों से सतर्क रहने को कहा है. राज ठाकरे ने पुणे में एक रैली में दोनों का फ़र्जी राशन कार्ड पेश करते हए कहा कि राजनेता अपने वोटों की खातिर कितना नीचे गिर जाते हैं, कि जाली राशन कार्ड और वोटर आइकार्ड धड़ल्ले से बनवा देते हैं. उन्होंने कहा कि इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि हमारी सुरक्षा को कितना खतरा है. राज ने रैली में एनसीपी के नेता शरद पवार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह समझ से परे है कि जब देश में चुनाव चल रहा है तो क्रिकेटरों को देश से बाहर क्यों भेजा गया. उन्होंने कहा कि हम रोज चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे हैं, कि हर नागरिक वोट डाले और सिर्फ़ पैसे के लिए क्रिकटरों को साउथ अफ्रीका भेज देते हैं.

काले धन पर सुप्रीम कोर्ट में अपील

वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम जेठमलानी ने मंगलवार को काले धन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जेठमलानी ने याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार को विदेशी बैंकों में जमा पैसा भारत लाने के लिए कदम उठाने चाहिए. जेठमलानी ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह केंद्र को स्विस बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने के उपाय करने के निर्देश दे. याचिका के अनुसार विदेशों के बैंकों में भारत का लगभग 70 लाख करोड़ रुपये जमा हैं. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन की अध्यक्षतावाली खंडपीठ इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगी.

अजमल ने उर्दू में आरोपपत्र की मांग रखी

पाकिस्तानी आतंकी मुहम्मद अजमल अमीर इमान उर्फ अजमल कसाब ने उर्दू में आरोपपत्र उपलब्ध कराने की मांग दोहराई है। अभियोजन पक्ष ने अजमल की इस मांग का पुरजोर विरोध किया। सरकारी वकील का कहना था कि यह मुकदमे की सुनवाई में देर करने का तरीका है। अजमल के वकील अब्बास काजमी ने उसके खिलाफ पेश आरोपों के मसौदे पर जवाब देने के लिए अदालत से चार हफ्ते का समय मांगा। विशेष अदालत ने इन मुद्दों पर अपना फैसला बुधवार तक सुरक्षित रख लिया। 
मुंबई आतंकी हमले मामले की मंगलवार को सुनवाई के दौरान अजमल बिल्कुल नए अंदाज में दिखा। आज वह क्लीनशेव था और उसके बाल भी सलीके से कटे हुए थे। 26 नवंबर को गिरफ्तारी के बाद से वह पहली बार बदला-बदला दिखा। 
अजमल के वकील काजमी ने उर्दू में आरोपपत्र की मांग करते हुए अदालत से कहा कि उनका मुवक्किल उर्दू के अलावा और कोई भाषा नहीं समझता। उनकी इस दलील का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि उस भाषा में आरोपपत्र दिया जाए जो आरोपी को आती हो। महाराष्ट्र में अंग्रेजी के साथ मराठी अदालत की भाषा है। आरोपपत्र की अंग्रेजी और मराठी प्रति आरोपी को पहले ही दी जा चुकी है। इसके पहले रिमांड के लिए जिस मजिस्ट्रेट की अदालत में अजमल को पेश किया गया था वहां भी उसने यही मांग दोहराई थी। 
निकम ने अदालत से कहा कि अजमल यदि आतंकी हमले के वक्त नाबालिग था तो उसकी भी जांच करा ली जाए क्योंकि मुकदमे की सुनवाई के बाद कड़ी सजा से बचने के लिए वह इसकी आड़ ले सकता है। इस बीच इसी मामले में सह अभियुक्त सबाउद्दीन अहमद ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हिरासत के दौरान उसे उत्पीड़ित किया।

साध्वी प्रज्ञा पर जेल में हुआ हमला

वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की एक मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मंगलवार को आरोप लगाया कि बायकुला महिला बंदी गृह में एक कैदी ने उन पर हमला किया था। 
साध्वी के वकील गणेश सोवानी ने विशेष मकोका अदालत के समक्ष एक अर्जी दाखिल कर कहा कि एक कैदी मुमताज शेख ने साध्वी पर एल्मुमीनियम की कटोरी से हमला किया। इसके बाद उनकी नाक और गले पर चोट आ गई। जेल प्रशासन ने मुमताज के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। 
अदालत ने सोवानी को मुमताज के खिलाफ मजगांव मजिस्ट्रेट की अदालत में अलग शिकायत दर्ज कराने को कहा। सोवानी ने कहा कि अगर मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज शिकायत में कुछ ठोस नजर आता है तो जांच कराई जा सकती है। 
बायकुला जेल के अधीक्षक ने जेल में साध्वी के व्यवहार के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट आज अदालत को सौंपी। रिपोर्ट के तहत साध्वी ने मुमताज को कुछ मुद्दों पर उकसाना जारी रखा और वह साध्वी ही थी जिसने झगड़ा शुरू किया। विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सालियान ने कहा कि रिपोर्ट में इस बारे में विस्तृत जानकारी है कि साध्वी ने जेल में कैसा बर्ताव किया और किस तरह दूसरे कैदियों को अपने विचार देने की कोशिश की। 
इस बीच, मालेगांव विस्फोट मामले में एक और आरोपी श्यामलालू साहू के भाई मोहन साहू का अपने भाई का अदालत परिसर में इंतजार करते समय निधन हो गया। सोवानी के अनुसार मोहन अस्वस्थ महसूस कर रहे थे। बेहोश होने के बाद उन्हें जी. टी. अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

Tuesday, April 21, 2009

मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल समाप्त, चावला कल सभालेंगे नये सीईसी का कार्यभार

मुख्य चुनाव आयुक्त श्री एन गोपालस्वामी पांच साल लंबे कार्यकाल के बाद आज सेवानिवृत्त हो गये...उनका कार्यकाल काफी महत्वपूर्ण घटनाओं और सुर्खियों से भरा रहा है...खासकर के चुनाव आयुक्त नवीन चावला को हटाने की अनुशंसा का मामला काफी लंबे समय तक भारतीय समाचार माध्यमों की सुर्खियों में रहा था...ये पहली बार है जब किसी मुख्य चुनाव आयुक्त ने साथी चुनाव आयुक्त को हटाने की संस्तुति सरकार से की हो...हालांकि मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी नहीं दी थी....

इस मौके पर चुनाव आयोग के कार्यालय में आयोजित विदाई समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव आयोग पर पूरा भरोसा है कि वो इस अहम संस्था में जनता के विश्वास को बनाये रखेगा...चुनाव आयुक्त नवीन चावला और एस वाई कुरैशी भी इस मौके पर उपस्थित थे...

कल श्री नवीन चावला देश के 16वें चुनाव आयुक्त के तौर पर कार्यभार संभालेंगे...श्री चावला 1969 बैच के आईएएस अधिकारी हैं...और वो 29 जुलाई 2010 तक इस पद पर रहेंगे...उनके मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की वजह से रिक्त हुये पद पर मौजूदा ऊर्जा सचिव श्री वी एस सम्पथ की नियुक्ति की गई है....देश में ये पहला मौका है कि आम चुनाव के दौरान किसी मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल पूरा हुआ है.

Saturday, April 18, 2009

एलएलबी में प्रवेश आयुसीमा को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकृत

मुंबई उच्च न्यायालय ने विधि महाविद्यालय में प्रवेश के लिए उच्चतम आयुसीमा निर्धारण को चुनौती देने वाली याचिका आज विचारार्थ स्वीकार कर ली।
याचिका शबनम मुलानी नामक महिला पुलिस कांस्टेबल ने दायर की है जो कानून की पढ़ाई करना चाहती थी लेकिन निर्धारित आयुसीमा से अधिक उम्र हो जाने के कारण ऐसा नहीं कर सकतीं। बार काउंसिल आफ इंडिया ने पिछले वर्ष एक नए नियम के तहत तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए उच्चतम आयुसीमा 30 वर्ष निर्धारित कर दी थी।
याचिकाकर्ता के वकील महेश वासवानी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने बार काउंसिल आफ इंडिया यूजीसी और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को नोटिस भेज कर उनसे मामले पर जवाब मांगा है। मुकदमे की अगली सुनवाई 17 जून को होगी।

अनिवार्य मतदान से संबंधित जनहित याचिका खारिज

उच्चतम न्यायालय ने देश में अनिवार्य मतदान की व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने संबंधी याचिका आज खारिज कर दी. याचिकाकर्ता अतुल सरोदे ने मु‘य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन और न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की खंडपीठ के समक्ष यह दलील दी कि जिस तरह आस्ट्रेलिया में मतदान को अनिवार्य बनाया गया है. उसी तरह भारत में मतदान अनिवार्य करने की जरूरत है. ताकि देश के ज्यादा से ज्यादा नागरिकों की भागीदारी लोकतंत्र के महापर्व चुनाव में हो सके. खंडपीठ ने जब याचिकाकर्ता से यह पूछा कि आखिर उनकी जनहित याचिका का मकसद ‘या है, तो उन्होंने कहा कि वह ऐसी व्यवस्था चाहते हैं, जिससे लोकतंत्र में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो और मतदान 50 प्रतिशत से अधिक हो सके. इसपर न्यायालय ने कहा कि देश में औसत मतदान तो अब भी 50 प्रतिशत से अधिक है. फ़िर इस याचिका का औचित्य ‘या है. इसके बाद न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी.

न्यायाधीश भी दिखाएँ न्यायिक संयम

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीशों को संयम दिखाना चाहिए और जब तक किसी मामले में फैसले सुनाने के लिए जरूरी न हो प्रतिकूल टिप्पणी करने से उन्हें बचना चाहिए।
अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश प्रकाशसिंह तेजी के खिलाफ की गई दिल्ली उच्च न्यायालय की एक टिप्पणी को कार्यवाही से हटाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि न्याय के व्यवस्थित प्रशासन के लिए न्यायिक संयम और अनुशासन उतना ही जरूरी है जितना यह सेना में प्रभावी होता है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति केजी बालकृष्ण और न्यायमूर्ति पी. सताशिवम की पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों का यह कर्तव्य है कि वे न्यायपालिक की स्वतंत्रता बचाए रखने के लिए संयम और विनम्रता बनाए रखें।
पीठ ने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में यह गुणवत्ता न्यायाधीशों के सम्मान को लेकर उतनी ही जरूरी है जितनी आवश्यक यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने छह जुलाई 2006 को एक फैसला सुनाते हुए दिल्ली के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी दी थी।

Friday, April 17, 2009

क्या गुप्त है आपका मतदान!

चुनाव नतीजे आने के बाद हो सकता है कोई नेता आपके पास उलाहना लेकर पहुंचे कि आपने उन्हें वोट नहीं दिया। आप अचरज में होंगे कि आखिर इन्हें पता कैसे चला? दरअसल, वर्तमान मतगणना प्रणाली में पारदर्शिता की बड़ी कमी इसकी वजह होगी। 
बैलट पेपर वाला जमाना याद कीजिए। तब मतगणना के वक्त अलग-अलग बूथ के वोट मिलाए जाते थे और फिर गिनती होती थी। अब इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन का जमाना है। ईवीएम के जरिए डाले गए मतों को भी गिनती से पहले मिलाने के लिए 'टोटलाइजर सिस्टम' बनाया गया है, लेकिन इस पर अमल अब तक संभव नहीं हो सका है। लिहाजा आपका मतदान पूरी तरह गुप्त हो, यह अब अगले चुनाव में ही संभव हो सकता है। गणना से पहले मतों को मिलाने की प्रक्रिया इसलिए अपनाई जाती थी ताकि लोगों को किसी एक मतदान केंद्र पर डाले जाने वाले वोट का अंदाजा न हो सके। इस तरह वोट के बाद भी मतदान की पूरी गोपनीयता बनी रहती थी। 
वर्ष 2004 में पूरी तरह ईवीएम का इस्तेमाल शुरू हो जाने पर यह प्रक्रिया खत्म हो गई। इसके साथ ही मतदान की गोपनीयता पर सवालिया निशान भी लग गया। इससे बचाव के लिए चुनाव आयोग ने विशेषज्ञों की मदद से टोटलाइजर सिस्टम विकसित किया। इसके तहत कई मतदान केंद्रों के ईवीएम में दर्ज मतों को एक साथ मिला कर उसके बाद उनकी गिनती किए जाने की व्यवस्था है। पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम और उत्तार प्रदेश के भदोही विधानसभा उपचुनाव में टोटलाइजर सिस्टम का सफल परीक्षण किया गया। बताते हैं कि चुनाव आयोग ने 2009 के लोकसभा चुनाव में इसके उपयोग का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा था। 
सूत्रों का कहना है कि अभी यह प्रस्ताव कानून मंत्रालय की सलाहकार समिति के पास लंबित है। जाहिर है, आपके मत केंद्र के ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती अकेले होगी। ऐसे में लोग चाहें तो सही-सही भांप सकते हैं कि आपने किसे वोट दिया। वैसे गनीमत है कि यह आंकलन हर किसी के वश की बात नहीं।

मॉल में बिकता एक्सपायर्ड फूड पकड़ा गया

जयपुर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की दो टीमों ने शहर में बिना बैच व पुराने खाद्य पदार्थ बनाने वाली एक फैक्टरी तथा एक मॉल में एक्सपायर्ड फूड बिक्री होते दो आइटम पकड़े। भास्कर के 15 अप्रैल के अंक में प्रकाशित खबर ‘एक्सपायरी डेट के बाद भी बिक्री’ के बाद विभाग ने फूड इंस्पेक्टरों की बैठक लेकर ये दो टीम गठित की।
सीएमएचओ जयपुर (प्रथम) डॉ.बी.एल.मीणा के निर्देश पर खाद्य निरीक्षक विनोद शर्मा के नेतृत्व विभाग की टीम ने दोपहर करीब 2 बजे से कार्रवाई शुरू की। करतारपुरा और टोंक फाटक क्षेत्र में पहुंची टीम जैसे ही दुकानों पर पहुंची, व्यापारियों में हड़कंप मच गया। 
यहां पर उनके फूड लाइसेंस की जांच की। बाद में दोपहर 3:15 बजे परकोटे स्थित टॉफी, मिठाई की गोलियां आदि फूड पैकेट्स की दुकानों पर पहुंचकर पैकेट्स की जांच की तो उन पर आवश्यक सूचनाएं अंकित नहीं थी। 
दुकान संचालक से मैन्युफैक्चरर का नाम पूछा गया तो उसने मना कर दिया, लेकिन खाद्य निरीक्षकों ने उसे कार्रवाई की बात कही तो वह राजी हुआ। यह सामान ब्रrापुरी के पुरोहित पाड़ा में एक फैक्टरी में तैयार होता है। 
गंदगी के बीच बन रहे थे खाद्य पदार्थ

टीम 3:30 बजे मौके पर अशोक एंटरप्राइजेज पहुंची तो यहां काम कर रहे करीब दो दर्जन कारीगरों में हड़कंप मच गया। फैक्टरी का मालिक अशोक पारवानी मौके पर नहीं था। यहां स्वास्थ्य के घातक खुले और गंदगी में खाद्य पदार्थ बनाए जा रहे थे। इनमें बच्चों की टॉफियां, चूरण की गोलियां, रंग-बिरंगी सौंफ, मीठी खजूर की सुपारी व अन्य कई प्रकार के आइटम बनाकर पैकेट्स तैयार किए जा रहे थे। यहां जिन पदार्र्थो का उपयोग किया जा रहा था उनमें कई प्रकार के रंग और एसेंस तथा चिकनाईयुक्त पदार्थ रखा हुआ था। एक कमरे में एसेंस की बोतलें रखी थीं जिनमें बड़ी संख्या में ऐसी थी जिनकी एक्सपायरी डेट निकल चुकी थी। 

चिकनाईयुक्त पदार्थ को मौके पर मिले मालिक के भाई कैलाश पारवानी ने घी बताया। सूंघने पर उसमें से दु्गध आ रही थी। दो मंजिला इस फैक्टरी में टीम ने खजूर की कटिंग कर कृत्रिम रंग व चासनी से बनाई सुपारी तथा मैदा से तैयार किए इमली लड्डू, काजू कतली और बर्फी के सेंपल सील किए। मैदा से तैयार किए आइटम अधिकतम डेढ़ से दो माह तक रखे जा सकते हैं लेकिन यहां इनके पैकेट्स तैयार कर बाजार में भेजे जा रहे थे जो शहर व गांवों की दुकानों पर कई-कई माह तक बेचे जा रहे थे। कार्रवाई शाम 5:30 बजे तक चली। 

विशाल मेगामार्ट में अवधिपार प्रोडेक्ट

दोपहर 2:30 बजे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की दूसरी टीम सीएमएचओ जयपुर (द्वितीय) डॉ. यतींद्र सिंह के निर्देश पर जगतपुरा एवं मालवीय नगर क्षेत्र में रवाना हुई। खाद्य निरीक्षक श्रीराम मिश्रा के नेतृत्व में निरीक्षक राजेश टिंकर, संदीप अग्रवाल प्रथम एवं संदीप अग्रवाल द्वितीय की टीम इन दोनों क्षेत्र में 7 दुकानों पर जाकर उनके फूड लाइसेंसों तथा फूड पैकेट्स के कंटेंट्स व उनकी मेन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट सहित सभी कानूनन आवश्यक जानकारी के अंकित होने की जांच की। 

टीम शाम 4:30 बजे मालवीय नगर में क्रिस्टल कोर्ट स्थित विशाल मेगामार्ट पहुंची। जैसे ही टीम यहां पहुंची, मैनेजर, कॉमर्शियल मैनेजर आदि ने टीम को समझाने का प्रयास किया कि यहां सभी चीजें ताजा मिलती हैं। जांच की गई तो यहां सॉस और अचार उपयोग की अवधि पार कर चुके थे। दोनों पर 18 माह तक उपयोगी लिखा हुआ था, लेकिन सॉस पर मेल्युफैक्चरिंग डेट अक्टूबर-07 लिखी थी। 



स्कूलों में नहीं दी जानी चाहिए सेक्स शिक्षा

स्कूलों में सेक्स शिक्षा पर एक संसदीय समिति ने आपत्ति जताई है। समिति ने सुझाव दिया है कि इससे संबंधित पाठों को जीवविज्ञान के सिलेबस में प्लस टू से पहले नहीं जोड़ा जाए।
राज्यसभा की कमेटी ऑफ पिटीशंस ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि स्कूली बच्चों को साफ संदेश दिया जाना चाहिए कि शादी से पूर्व सेक्स नहीं किया जाना चाहिए। वरिष्ठ भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू नीत समिति ने कहा कि छात्रों को इस तथ्य के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए कि शादी से पहले सेक्स सामाजिक मूल्यों के खिलाफ है। 
समिति के मुताबिक, छात्रों को इस बारे में जागरूक किया जाए कि बाल विवाह अवैध तथा लड़की के स्वास्थ्य के लिहाज से घातक है। उन्हें इस बात की शिक्षा भी दी जानी चाहिए कि 16 वर्ष की उम्र के पहले सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध भी दुष्कर्म के बराबर हैं। 
स्कूलों में सेक्स शिक्षा पर राष्ट्रीय बहस की मांग करने वाली याचिका पर रिपोर्ट में कहा गया है कि एचआईवी/एड्स के बारे में पाठ जीवविज्ञान के सिलेबस में उच्चतर कक्षाओं में जोड़े जा सकते हैं।

Sunday, April 12, 2009

मृत्युशैया पर बयान दर्ज करवाने के लिए मजिस्ट्रेट का होना अनिवार्य नहीं

उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि मृत्यु शैया पर दिये गये बयान को अदालतें स्वीकार कर सकती हैं भले ही उस बयान को न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज न किया गया हो। सर्वोच्य न्यायालय ने लक्ष्मण बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले में पूर्व में दिये फैसले का उदाहरण देते हुए कहा, ''ऐसा कोई नियम नहीं है कि मृत्यु शैया पर दिया गया बयान सिर्फ मजिस्ट्रेट द्वारा ही दर्ज किया गया हो और यदि ऐसा बयान मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया गया है तो इस प्रकार के बयान के लिए कोई विनिदर्ष्टि संवैधानिक प्रारूप नहीं है।'' न्यायमूर्ति अरिजित पसायत और अशोक कुमार गांगुली की एक पीठ ने कहा कि मृत्यु शैया पर दिया गया बयान मौखिक, लिखित या शब्दों और संकेतों द्वारा दिया जा सकता है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जब मृत्यु शैया पर बयान दिये जाने की स्थिति में न तो शपथ की जरूरत है और न ही मजिस्ट्रेट की मौजूदगी की। पीठ ने यह आदेश राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले को खारिज करते हुए दिया जिसमें पत्नी पन्नी देवी की 11 दिसंबर 1995 को हत्या करने वाले चंपा लाल को बरी कर दिया गया था।
जोधपुर की सत्र अदालत ने चंपा लाल को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनायी थी लेकिन अपील करने पर उच्च न्यायालय ने उसे इस आधार पर बरी कर दिया था कि मृत्यु शैया पर पन्नी देवी का बयान थाना प्रभारी ने दर्ज किया था। न्यायालय ने दोषी को आत्मसमर्पण करने और यदि सजा बाकी हो तो उसे भुगतने का आदेश दिया है।
पन्नी देवी ने मृत्यु शैया पर दिये बयान में कहा था कि लाल ने उसके चरित्र पर लांछन लगाते हुए उसे आग लगा दी थी। उच्च न्यायालय का कहना था चूंकि बयान को मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में दिया गया था इसलिए आरोपी को दोषी ठहराने के लिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

वरुण की याचिका पर सुनवाई कल

सुप्रीम कोर्ट भाजपा के उम्मीदवार वरुण गांधी की रासुका के खिलाफ दायर याचिका पर कल सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि वरुण ने कथित भड़काऊ भाषण दिए जाने के कारण अपने ऊपर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून [रासुका] के खिलाफ याचिका दायर की थी। प्रधान न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने कल यह मामला पेश किया जाएगा। न्यायालय ने गत दो अप्रैल को उप्र सरकार और पीलीभीत के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किया था।
वरुण ने इन पर आरोप लगाया है कि चुनाव में भाग लेने पर राजनीति से प्रेरित होकर उनके खिलाफ रासुका लगाया गया है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने 29 वर्षीय भाजपा नेता के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि सांप्रदायिक भाषण और उनके खिलाफ इस संबंध में मामला दर्ज होने के बाद पीलीभीत की अदालत में आत्मसमर्पण के लिए जाते समय उनके द्वारा पैदा की गई अराजकता के कारण उनके खिलाफ रासुका लगाया गया।

Saturday, April 11, 2009

राजस्थान में लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी


जयपुर : पंद्रहवीं लोकसभा के लिए राज्य के सभी 25 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अधिसूचना शनिवार को जारी होगी। अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन पत्र भरने का कार्य शुरू हो जाएगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद जुत्शी ने बताया कि नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि 18 अप्रैल होगी। नामांकन पत्रों की जांच 20 अप्रैल को की जाएगी व 22 अप्रैल तक नाम वापस लिए जा सकते हैं। मतदान 7 मई को व मतों की गिनती 16 मई को होगी। उन्होंने बताया कि नामांकन पत्र प्रात: 11 बजे से 3 बजे तक संबंधित रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

लीगल सेल में अनुभवी वकीलों को रखें

दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के पैनल में अनुभवी वकीलों के न होने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने इस मामले में प्राधिकरण को सुझाव दिया है कि वह अपने पैनल में वरिष्ठ व अनुभवी वकीलों को रखे। जिनके पास कम से कम 10 साल की वकालत का अनुभव हो। साथ ही उनके सहायक वकीलों को भी कम से पांच साल का अनुभव हो। जस्टिस डा. एस मुरलीधर की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। 

पीठ ने एनडीपीएस एक्ट के मामले में सजायाफ्ता एक आरोपी की अपील पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। पेश मामले में नेपाल निवासी बल बहादुर को निचली अदालत ने दस साल कारावास व एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील दायर कर कहा कि वह बहुत गरीब है और उसे फर्जी तरीके से फंसाया गया है। जबकि निचली अदालत में उसे सही तरीके से सहायता नहीं मिली। लीगल सेल ने उसे वकील तो उपलब्ध कराया किंतु ट्रायल के दौरान तीन वकील बदल दिए गए। जिन्हें अनुभव भी नहीं था। ऐसे में वह ठीक तरीके से अपना पक्ष नहीं रख पाया। मामले को गंभीरता से लेते हुए पीठ ने दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण को यह सुझाव दिया कि वह अपने पैनल में अनुभवी वकीलों की नियुक्ति करे। पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में जिसमें सात साल से ऊपर की सजा का प्रावधान है। गरीब आरोपियों को मुकदमा लड़ने के लिए अनुभवी वकील दिए जाएं। जिससे आरोपी मजबूती से अदालत के समक्ष अपना पक्ष रख सके। पीठ ने कहा कि संविधान में सभी को अपना पक्ष रखने का अधिकार है। हालांकि पीठ ने आरोपी बल बहादुर की सजा बरकरार रखी है। लेकिन एक लाख जुर्माना अदा न करने की स्थिति में एक साल की सजा को घटाकर एक महीने का कर दिया है।

नौकरी गई तो प्रोजेक्ट मैनेजर बन बैठा लुटेरा

नई दिल्ली : आर्थिक मंदी में नौकरी छूटी तो एक प्रोजेक्ट मैनेजर ने बाजार से एयरगन, लालमिर्च पाउडर व तेजाब की बोतल खरीदकर चल पड़ा लूटपाट करने। एक वृद्धा को घर में अकेली पाकर लूटपाट की कोशिश भी लेकिन उसके शोर मचा देने पर मौके पर ही पकड़ा गया। घटना दक्षिण दिल्ली के साकेत इलाके में बृहस्पतिवार को हुई। पुलिस ने घर में घुसकर लूटपाट की कोशिश में बासुदेव कौशल नामक पूर्व प्रोजेक्ट मैनेजर को पकड़ जेल भेज दिया है।

एसएफएस फ्लैट साकेत निवासी वीणा एमटीएनएल से सेवानिवृत्ता हैं। बृहस्पतिवार की दोपहर में फ्लैट की घंटी बजने पर उन्होंने दरवाजा खोला तो सामने एक पचास वर्षीय व्यक्ति को पाया। उसने अपना परिचय विशाल मेगा मार्ट के प्रतिनिधि के रूप में दिया तथा बातों ही बातों में घर में प्रवेश कर गया। अंदर आते ही उसने बैग से बंदूक निकाली तथा वीणा से नकदी-जेवर हवाले करने को कहा। वीणा केविरोध करने पर उसने उनके सिर पर बंदूक की बट से वार कर दिया। सिर में चोट लगने से वीणा चीख पड़ी जिसे सुन पड़ोस में काम करने वाले पेंटर बदलू खान व अन्य लोगों ने लुटेरे को मौके पर ही दबोच उसे पुलिस के हवाले कर दिया। जांच में पता चला कि लुटेरे के हाथ में बंदूक नहीं, एयरगन थी। तलाशी में उससे लालमिर्च की पाउडर के अलावा तेजाब की बोतल भी मिली।

दक्षिण जिला पुलिस उपायुक्त एचजीएस धालीवाल के अनुसार घर में लूटपाट के आरोप में गिरफ्तार वासुदेव कौशल किसी गारमेंट कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर रह चुका है, लेकिन एक साल पहले उसकी नौकरी छूट गई। उसकी पत्नी व दो बच्चे गौतम नगर में रहते हैं। दोनों बच्चे नामी स्कूल में पढ़ते हैं। नौकरी छूटने पर कमाई का कोई जरिया न होने पर उसने सोचा कि लूटपाट से मोटा धन हाथ लग सकता है जिससे वह घर की जरूरतें पूरी कर सकता है। इसलिए उसने एयरगन, तेजाब की बोतल व लालमिर्च की पाउडर खरीदी थी। लेकिन लूटपाट की पहली ही कोशिश में वह पकड़ा गया।

‘हिन्दुस्तान में सफल नहीं हो सकती लिव-इन रिलेशनशिप’


राजस्थान उच्च न्यायालय ने पांच वर्ष से माता-पिता से अलग रह रही इंजीनियरिंग छात्रा को उसकी इच्छानुसार पुरूष-मित्र के साथ जाने के आदेश देने के साथ ही टिप्पणी की कि हिन्दुस्तान में लिव-इन रिलेशनशिप जैसी व्यवस्था सफल नहीं हो सकती है। वरिष्ठ न्यायाधीश अशोक परिहार व न्यायाधीश गौरीशंकर सर्राफ की खंडपीठ ने यह आदेश लड़की के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा करते हुए दिए। लड़की के पिता ने याचिका में अदालत को बताया कि उसकी बेटी पांच वर्ष से अजमेर में रहकर इंजीनियरिंग कोर्स कर रही थी और एक विवाहित पुरूष मित्र, जो चार बार विवाहित है, के साथ रह रही है। 
प्रकरण की सुनवाई के दौरान अदालत ने जब इस लड़की की राय जानना चाहा तो उसने पुरूष मित्र के साथ अपनी इच्छा से रहने की बात बताई। इस पर लड़की के माता-पिता ने अदालत में हंगामा कर दिया जिन्हें वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने अदालत भवन के मुख्य द्वार तक छोड़ने के आदेश दिए।
अदालत ने कहा कि लड़की वयस्क है एवं पुरूष मित्र के साथ इच्छा से रह रही है अत: अदालत कुछ नहीं कर सकती लेकिन साथ ही टिप्पणी की कि 'हिन्दुस्तान में लिव-इन रिलेशनशिप जैसी व्यवस्था सफल नहीं हो सकती है।


Friday, April 10, 2009

प्री एग्जाम में रिजर्वेशन लागू करना जरूरी नही

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि सरकार पर ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रीलिमनरी (प्री) स्तर पर आरक्षण लागू करे। अदालत ने कहा कि योग्यता की जांच कई स्तरों पर होनी चाहिए। संविधान का मकसद ऐसे उम्मीदवार चुनना है जो पद की जिम्मेदारियां संभालते हुए समाज की सेवा कर सकें। सरकारी पद कृपा या दान के तौर पर भरने के लिए नहीं हैं।
जस्टिस एस. बी. सिन्हा और सी. जोसफ ने कहा कि प्री एग्जाम मेन एग्जाम का हिस्सा नहीं है। इसके अलावा प्रतियोगिता के शुरुआती स्तर पर ही सामाजिक रूप से पिछडे़ वर्ग को आरक्षण की सुविधा देने पर जोर नहीं दिया जा सकता। इस स्तर पर कैंडिडेट की मेरिट का फैसला नहीं होता। यह केवल उसकी अर्हता का निर्णय करने के लिए है। प्री एग्जाम में जनरल स्टडीज और मेंटल एबिलिटी के पेपर होते हैं। ऐसे पेपर उम्मीदवारों की बेसिक अर्हता निर्धारित करने के लिए जरूरी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था आंध्र प्रदेश पब्लिक सर्विस कमिशन (एपीपीएससी) और रिजर्व कैटिगरी स्टूडंट्स के बीच चलते विवाद को लेकर दी है। इन लोगों को एपीपीएससी ने डिप्टी कलेक्टरों, कमर्शल टैक्स ऑफिसरों और ग्रुप वन पोस्ट के एग्जाम में प्री स्टेज पर रिजर्वेशन देने से मना कर दिया था।
प्री में असफल रहने वाले रिजर्व कैटिगरी के कुछ उम्मीदवारों ने नतीजे के खिलाफ आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में अपील की, जिसने फैसला किया कि प्री के स्तर पर भी रिजर्वेशन दिया जाना चाहिए। इस फैसले से नाखुश एपीपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने कमिशन के नियम को बरकरार रखते हुए कहा कि रिजर्व कैंडिडेट के लिए प्री एग्जाम में नंबर कम करना संवैधानिक तौर पर जरूरी नहीं है। इसकी अनुमति प्रमोशन के स्तर पर ही है। न्यूनतम अर्हता रखने वाले लोग ही मेन एग्जाम में बैठने के योग्य होंगे।

Thursday, April 9, 2009

हिस्ट्रीशीटर पप्पू चौधरी की हत्या

जयपुर. मुहाना थाने के हिस्ट्रीशीटर पप्पू चौधरी की कुछ लोगों ने सिर पर वार कर हत्या कर दी। वह पुलिस को चाकसू के आजमनगर के पास घायल अवस्था में मिला। एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराने के बाद उसने दम तोड़ दिया।
पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया है। जयपुर ग्रामीण एसपी आनंद श्रीवास्तव ने बताया कि चाकसू पुलिस को मंगलवार सुबह 7 बजे ग्रामीणों ने सूचना दी कि 10 किलोमीटर दूर आजमनगर के पास खून से लथपथ युवक बेहोशी की हालत में पड़ा है। चाकसू इंचार्ज गोपाल शर्मा मौके पर पहुंचे और उसे चाकसू अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से एसएमएस अस्पताल भेज दिया, जहां उसकी मृत्यु हो गई।
मोबाइल नंबर से शिनाख्त : युवक के बाएं जूते पर मोबाइल नंबर लिखे हुए थे। उसके पास कोई ऐसी वस्तु नहीं मिली, जिससे पहचान हो सके। मोबाइल नंबर पर चाकसू पुलिस ने बात की तो वह मुहाना क्षेत्र निवासी मदन का निकला। पुलिस ने उसे बुलाया। उसने घायल की पहचान मुहाना थाना इलाके के हाज्यावाला निवासी पप्पू चौधरी (23) के रूप में की। बाद में उसके परिजनों ने भी अस्पताल में उसकी शिनाख्त की।
राजेश पंडित लेकर गया था : पुलिस जांच में सामने आया है कि सोमवार देर रात पप्पू को उसका दोस्त मुहाना क्षेत्र निवासी राजेश पंडित मार्शल जीप से ले गया था। इसके बाद पप्पू वापस नहीं आया। घटना के बाद राजेश फरार है। इस मामले में मुहाना पुलिस की मदद ली जा रही है।

सत्यम घोटाले में राजू के खिलाफ चार्जशीट

सत्यम कंप्यूटर में हुए तकरीबन 10,000 करोड़ रुपये के सनसनीखेज घोटाले की जांच अब अपने चरम पर पहुंच गई है। दरअसल, देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई ने इस घोटाले की पड़ताल को परिणति पर पहुंचाते हुए सत्यम के दागदार संस्थापक बी.रामालिंगा राजू और आठ अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। आईपीसी की धोखाधड़ी और जालसाजी से जुड़ी विभिन्न धाराओं के तहत मंगलवार को यहां विशेष अदालत के समक्ष ब्क्क् पेजों की चार्जशीट दाखिल की गई। चार्जशीट में रामालिंगा राजू के साथ-साथ उनके भाई एवं कंपनी के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर रामा राजू, सत्यम के पूर्व सीएफओ वी.श्रीनिवास और प्राइसवाटरहाउस के दो बर्खास्त ऑडिटरों एस.गोपालकृष्णन व टी.श्रीनिवास को नामजद किया गया है।
इसी तरह सत्यम कंप्यूटर के उपाध्यक्ष (वित्त) जी.रामाकृष्णा और कंपनी के वित्त विभाग में कार्यरत डी.वेंकटपति राजू एवं श्रीसैलम को भी चार्जशीट में नामजद किया गया है। इस चार्जशीट में जिस नौवें व्यक्ति के नाम का जिक्र किया गया है वह कोई और नहीं, बल्कि रामालिंगा राजू के ही एक अन्य भाई सूर्यनारायण राजू हैं। सूर्यनारायण राजू दरअसल एसआरएसआर एडवाइजरी सर्विसेज के एक डायरेक्टर हैं। सूर्यनारायण राजू को छोड़ अन्य सभी व्यक्ति फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
अदालत में चार्जशीट के साथ-साथ सीबीआई ने बैंकों के साथ हुए लेन-देन को दर्शाने वाले 1,532 मूल दस्तावेज भी पेश किए हैं। इसी तरह सीबीआई ने इस मामले में अन्य दस्तावेजों के 65,000 पेज भी अदालत में प्रस्तुत किए हैं जिनमें 432 गवाहों के वक्तव्य भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से गुजारिश किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने गत 18 फरवरी को यह मामला सीबीआई के हवाले कर दिया था।
सीबीआई ने दावा किया है कि अपनी जांच के दौरान उसे कई ऐसे सबूत हाथ लगे हैं जिनसे कंपनी की कमाई को बढ़ा-चढ़ाकर दर्शाने की पुष्टि होती है। सीबीआई ने संबंधित दस्तावेजों को जब्त करने की भी बात कही है।


बांग्लादेश में पूर्व प्रधान मंत्री का उनके घर से निष्कासन

बांग्लादेश की सरकार ने कहा है कि वह पूर्व प्रधान मंत्री ख़ालिदा ज़िया को
सरकारी घर से निकाल रही है, जहां वह पच्चीस वर्षों से भी अधिक समय से रह
रही थीं.

सरकारी प्रवक्ता अबुल कलाम आज़ाद ने ढाका में पत्रकारों को बताया कि
मंत्रिमंडल ने, राजधानी में थल सेना के अहाते में स्थित उनके घर का पट्टा
समाप्त करने का निर्णय लिया है.

सन 1981 में जब उनके पति, तद्कालीन राष्ट्रपति ज़ियाउर रहमान की राष्ट्र
विप्लव में हत्या कर दी गई थी, तब उन्हें दो सरकारी मकान दिए गए थे. तब
से वह और उनका परिवार थल सेना के अहाते में बने मकान में रह रहा है, और
शहर के बाहर, गुलशन क्षेत्र का मकान उन्होंने किराए पर उठा रखा है.

श्री आज़ाद ने कहा कि दो सरकारी घर रखना ग़ैर क़ानूनी है. उन्होंने कहा
सुश्री ज़िया गुलशन क्षेत्र के मकान में जा सकती हैं.

सुश्री ज़िया की लंबे समय से प्रतिद्वंदी रही प्रधान मंत्री शेख़ हसीना ने
पिछले सप्ताह संसद से कहा था कि थल सेना के अहाते की सुश्री ज़िया की ज़मीन
का इस्तेमाल वह उन थल सेना अधिकारियों के परिवारों के लिए अपार्टमेंट
बनवाने के लिए करना चाहती हैं जिनकी फ़रवरी में हुई सीमा प्रहरियों की
बग़ावत में मृत्यु हो गई थी.

Tuesday, April 7, 2009

बीमा कंपनी ट्रक मालिक को दे मुआवजा

दिल्ली उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी न्यू इंडिया कारपोरेशन लिमिटेर्डं को आदेश दिया है कि वह ट्रक मालिक को क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत के सिलसिले में ब्याज सहित एक लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे।
आयोग ने बीमा कंपनी को यह आदेश भी दिया कि वह उपभोक्ता द्वारा सौंपे गए बिलों पर अदायगी न करने की वजह से सेवा में लापरवाही के लिए उपभोक्ता को पांच हजार रुपये अतिरिक्त प्रदान करे। न्यायमूर्ति जेडी कपूर की अध्यक्षता वाले आयोग ने कहा कि जिला उपभोक्ता फोरम ने इस मामले पर विस्तृत रूप से विचार किया। कंपनी की अपील को खारिज करते हुए आयोग ने कहा फोरम ने सुनवाई में जिन तथ्यों को पाया उनमें कोई अनियिमितता नहीं है।

अभियुक्त को बुला सकती हैं अदालत

सुप्रीमकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जिस व्यक्ति का नाम पुलिस के मूल आरोपपत्र में शामिल नहीं हो उसे भी अदालतें आगे की जांच में मदद के लिए अथवा मुकदमे की सुनवाई के दौरान बुला सकती हैं। 

न्यायमूर्ति एस बी सिन्हा और न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की पीठ ने कहा, 'आगे की जांच के पीछे की मुख्य सोच सत्य तक पहुंचने और वास्तविक तथा ठोस न्याय करने की है। महज देरी को आधार बनाकर आगे की जांच के लिए जांच एजेंसी के हाथ नहीं बांधे जा सकते।' 

सीआरपीसी की धारा 173 [आरोपपत्र और पुलिस रिपोर्ट से संबंधित] की व्याख्या करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि उपधारा [दो] और उपधारा [आठ] से स्पष्ट है कि जांच पूरी होने के बाद भी जांच एजेंसी को आगे की जांच करने का पूरा अधिकार है लेकिन उपधारा आठ के तहत 'नए सिरे से जांच' अथवा 'दोबारा जांच' नहीं की जा सकती। 

पीठ ने कहा, 'आगे की जांच पूर्व की जांच का ही आगे का क्रम है। पूर्व की जांच को खत्म करके नए सिरे से जांच अथवा दोबारा जांच नहीं की जा सकती।' शीर्ष अदालत ने यह व्यवस्था हत्या के मामले के अभियुक्त रामा चौधरी और कुछ अन्य की अपील को खारिज करते हुए दी। इन लोगों ने सत्र अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें हत्या के मामले में आठ अन्य अभियुक्तों को सम्मन जारी किया गया था जबकि मूल आरोप पत्र में उनका नाम नहीं था।

घटिया बीज देने पर बीज की कीमत व 35 हजार रुपए जुर्माना दिए जाने का आदेश.

किसान ने भिंडी उगाने के लिए बीजों की बुआई की। उससे पौधे तो उगे पर घटिया बीज होने से न फूल आए और न भिंडी लगी। किसान की शिकायत पर जिला उपभोक्ता फोरम इंदौर ने बीज देने वाली कंपनी व स्थानीय प्रतिनिधि को 35 हजार रुपए जुर्माना व बीज की कीमत देने के आदेश दिए। फैसला फोरम के अध्यक्ष अभिनंदनकुमार जैन व सदस्य शोभा दुबे ने सुनाया। इंदौर के ग्राम धमनाय निवासी पोपसिंह ने फोरम में बीज उत्पादन करने वाली कंपनी महिको वेजिटेबल्स सीड्स लि. नरीमन रोड मुंबई, कंपनी के एमजी रोड इंदौर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय महिको सीड्स लिमिटेड व दुकानदार बालाजी सीड्स एवं पेस्टीसाइड्स नसिया रोड के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत किया था। 

उसमें कहा था कि फरियादी ने 2007 में नसिया रोड स्थित बालाजी सीड्स एवं पेस्टीसाइड्स से 18 सौ रुपए में दो किलो पेक्ड भिंडी के बीज खरीदकर चार बीघा खेत में बुआई की थी। पौधे तो उचित रूप से बढ़े किंतु उनमें न फूल आए, न भिंडी लगी। इसकी शिकायत दुकानदार, स्थानीय प्रतिनिधि व कंपनी से की थी। इस पर स्थानीय प्रतिनिधि ने अपने कर्मचारी से स्थल का निरीक्षण कराने के बाद किसान को सुझाया कि इस फसल को उखाड़कर अन्य फसल की बुआई करे। जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई कर दी जाएगी। 

बांझ फसल का पंचनामा : किसान ने ग्राम पंचायत में शिकायत कर बांझ फसल का पंचनामा बनवाया। उसके बाद कंपनी, स्थानीय प्रतिनिधि व दुकानदार से क्षतिपूर्ति के लिए लगातार संपर्क किया किंतु भुगतान नहीं किया। इस कारण फोरम में नुकसानी व हर्जाने के रूप में साढ़े चार लाख रुपए दिलाने की गुहार की।

प्रकरण की सुनवाई के दौरान दुकानदार ने कहा बीज की खराबी के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। फोरम ने मामले में दुकानदार को उत्तरदायी नहीं मानते हुए कंपनी व क्षेत्रीय कार्यालय प्रतिनिधि को जिम्मेदार माना। फोरम ने आदेश दिया कि कंपनी व क्षेत्रीय कार्यालय प्रतिनिधि किसान को बीज का मूल्य 18 सौ रुपए वापस करे। साथ ही प्रतिकर के रूप में 35 हजार रुपए व परिवाद व्यय के एक हजार रुपए का भुगतान करे।

अस्मत मांगने के प्रकरण में राजस्थान विश्वविद्यालय ने चार्जशीट तैयार की

पीएचडी के लिए अस्मत मांगने के प्रकरण में राजस्थान विश्वविद्यालय ने आरोपी शिक्षक को चार्जशीट देने की तैयारी कर ली है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एन.के. जैन ने बताया कि कानूनी राय लेने के बाद चार्जशीट तैयार कराई गई है। 14 फरवरी को पीएचडी के बदले अस्मत मांगे जाने के प्रकरण का खुलासा होने के बाद विश्वविद्यालय ने आरोपी शिक्षक डॉ.टी.एस. चौहान को निलम्बित कर जांच के लिए विश्वविद्यालय की ओर से तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी ने आठ दिन में प्रकरण की जांच करके रिपोर्ट कुलपति डॉ.एन.के. जैन को सौंप दी। कुलपति ने रिपोर्ट कानूनी राय के लिए विश्वविद्यालय के अधिवक्ता एवं महाधिवक्ता के पास भिजवा दिया। वहां से कानूनी रिपोर्ट आने के बाद विवि प्रशासन ने आरोपों के आधार पर चार्जशीट तैयार की और जांच कमेटी को ही इसका काम सौंपा गया था। विवि के अधिकारियों का कहना है कि इसी माह आरोपी शिक्षक सहित घटना में दोषी लोगों के खिलाफ चार्जशीट सौंपी जाएगी।


शिशु की जान की खातिर न्यायालय का हस्तक्षेप

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सर्जन एके. बिश्नोई को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में भर्ती एक महीने के एक हृदयरोगी शिशु का ऑपेशन करने की अनुमति दे दी है। एम्स के इस डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश अजित प्रकाश शाह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अस्पताल में भर्ती इस शिशु के माता-पिता की अपील का संज्ञान लेते हुए यह फैसला सुनाया। इस बच्चे का इलाज बिश्नोई ही कर रहे थे। अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि इस फैसले का बिश्नोई के निलंबन से कुछ लेना-देना नहीं है। अदालत ने कहा है कि इस मामले में बिश्नोई किसी उपयुक्त प्राधिकार से संपर्क कर सकते हैं। एम्स प्रशासन ने अपने हलफनामे में कहा था कि बिश्नोई के निलंबन के बावजूद शिशु की देखभाल में कोई कमी नहीं आई और उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।  बच्चे के ऑपरेशन के लिए एम्स ने दो डॉक्टरों के नाम भी सुझाए थे। याचिका में बच्चे की मां रेखा ने कहा था कि बिश्नोई की देखेरख में ही बच्चे का इलाज चल रहा था, ऐसे में उन्हें ही इस बच्चे के ऑपरेशन का जिम्मा सौंपा जाना चाहिए।


हिन्दू तलाक कानून में संशोधन की सिफारिश

‘शादी टूटने और उसमें सुधार की गुंजाइश समाप्त होना: तलाक का एक अन्य आधार’ विषय पर भारतीय विधि आयोग ने अपनी 217वीं रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डॉ. एआर. लक्ष्मणन ने इस रिपोर्ट को केंद्रीय विवि मंत्री डॉ. हंसराज भारद्वाज के समक्ष पेश किया। 

अजमल कसाब पर 15 अप्रैल से मुकदमा चलेगा.

मुंबई हमलों में जीवित पकड़े गए एकमात्र आतंकी अजमल कसाब पर आर्थर रोड जेल स्थित विशेष अदालत में 15 अप्रैल से मुकदमा चलेगा. 
अदालत ने सोमवार को मुकदमा शुरू करने की घोषणा करते हुए कसाब और दो अन्य आरोपियों फहीम अंसारी व सबाउद्दीन अहमद की न्‍यायिक हिरासत 15 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी. 
गौरतलब है कि पिछले साल 26 नवंबर को मुंबई में हुए भीषण आतंकवादी हमलों में 180 से अधिक लोग मारे गए थे. इस मामले में गिरफ्तार आतंकी कसाब के खिलाफ जेल में विशेष अदालत में ही सुनवाई हो रही है.

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो की जांच के आदेश दिए.

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने उस वीडियो की जांच के आदेश दिए हैं जिसमें दिखाया गया हैं कि पश्चिमोत्तर स्वात घाटी में तालेबान उग्रवादियों द्वारा एक युवा महिला को कोड़े लगाए जा रहे हैं. 

स्वात घाटी क्षेत्र में मानव अधिकारों का हनन हो रहा है. फरवरी में इस क्षेत्र के स्थानीय अधिकारियों ने मुस्लमान विद्रोहियों के साथ शांति सौदा करके उन्हें इस्लामी कानून " शरिया" लागू करने की अनुमति दी थी.

वीडियो में दिखाया गया है की तीन व्यक्ति बुरका पहने एक महिला को पकड़े हुए हैं और उस महिला का सिर नीचे ज़मीन की ओर है. एक चौथा आदमी उसे ३४ बार कोड़े लगा रहा है . दर्द से चीख़ती यह महिला उसे रोकने की विनती करती है. कैमरे के पीछे एक अन्य व्यक्ति की आवाज़ सुनी जा सकती है जो कहता है कि ' कस कर पकड़े रहो'.

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इफ्तेखार मोहम्मद चौधरी ने इस घटना की सुनवाई के आदेश दिए. उन्होंने वरिष्ट 
सरकारी और पुलिस अधिकारियों को सोमवार को कोर्ट में पेश होने के लिए बुलाया है और गृह मंत्रालय से उस युवा महिला को न्यायलय में लाने को कहा है.

दो मिनट की अवधि का यह वीडियो पाकिस्तानी टेलिविज़न पर दिखाया गया .

Monday, April 6, 2009

यौन शोषण का दोषी पाया गया भारतीय डॉक्टर

लंदन. दो महिलाओं के यौन शोषण करने के मामले में भारतीय मूल के एक डॉक्टर को दोषी पाया गया है। डॉक्टर को इस संबंध में दोषी पाते हुए सजा जल्द हो सकती है। सकती है। 

भारतीय मूल के राजिंदर अग्रवाल (54) को दिसंबर 2006 से जनवरी 2007 के बीच पूर्वी लंदन के होमर्टन अस्पताल और साउथ ऑकैंडन के अवेले मेडिकल सेंटर में दो महिलाओं के साथ यौन शोषण का दोषी पाया गया है। दोषी पाए जाने के बाद अग्रवाल पर इंग्लैंड में अपनी सेवा देने पर बैन लगा लग सकता है। डॉ अग्रवाल को इंग्लैंड में डॉक्टरों की संस्था जनरल मेडिकल काउंसिल ने सस्पेंड कर दिया है। 

गौरतलब है कि अग्रवाल ने 1 दिसंबर 2006 को अवीले मेडिकल सेंटर में और फिर होमर्टन अस्पताल में महिलाओं का यौन शोषण किया। जिसके बाद महिलाओं ने अग्रवाल पर आरोप लगाया था जिसके बाद से इनके खिलाफ मामला चल रहा था।

पुलिस को अतिरिक्त जांच के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एक आपराधिक मामले में पुलिस को एक ताजा जांच के लिए ही अनुमति की जरूरत है कोई अतिरिक्त जांच के लिए नहीं है. विभिन्न विधिक प्रावधान स्पष्ट करते है कि आगे की जांच पड़ताल के लिए मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति लेने कि आवश्यकता नहीं है, लेकिन पुनः प्रारंभ से जांच पड़ताल निषिद्ध है. उक्त महत्वपूर्ण नजीर न्यायमूर्ति SB सिन्हा और न्यायमूर्ति पी Sathasivam की एक पीठ ने इस हफ्ते अपने एक निर्णय में दी.