पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, September 18, 2009

जस्टिस दिनकरन से खंडपीठ की अध्यक्षता न करने का अनुरोध

कर्नाटक बार एसोसिएशन (केबीए) ने गुरुवार को अपनी एक विशेष बैठक में प्रस्ताव पारित करके यह मांग रखी कि उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी डी दिनकर तब तक अदालती कार्रवाई में भाग न लें जब तक वह आय से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोपों से बरी नहीं हो जाते।

केबीए की बैठक में यह भी मांग रखी गई कि सभी न्यायाधीश अपनी संपत्ति की घोषणा करें। बैठक में यह भी कहा गया कि बार के सदस्यों को यदि न्यायमूर्ति दिनकर के खिलाफ कोई लिखित शिकायत हो तो उसे मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास भेजा जाएगा।

वरिष्ठ वकीलों ने न्यायमूर्ति दिनकर के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोप होने के बावजूद उन्हें उच्चतम न्यायालय में पदोन्नति देने पर रोष जताया। इस बैठक में कर्नाटक महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष प्रमिला नेसार्गी ने न्यायमूर्ति दिनकर के इस्तीफा की मांग की जबकि बार के अन्य सदस्यों ने उनकी अदालत का तब तक बहिष्कार करने का सुझाव दिया जब तक वह अपने ऊपर लगे आरोपों से बरी नहीं हो जाते।

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