पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, September 6, 2009

कलेक्टर रोजाना करें जन सुनवाई: गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे रोजाना जन सुनवाई करके लोगों की समस्याओं का समाधान करें। लोगों की दु:ख, तकलीफों को समझने के लिए वे गांवों में जाएं और रात्रि विश्राम करके समस्याओं का स्थानीय स्तर पर ही निराकरण करें। इसके लिए सभी कलेक्टरों को एक परिपत्र भी जारी किया गया है। मुख्यमंत्री ने शनिवार को मुंबई से ही ये निर्देश दिए।उन्होंने कहा कि जिस दिन कलेक्टर जिला मुख्यालय पर मौजूद होंगे और उस दिन जन सुनवाई नहीं करने की शिकायत मिली तो उसे गंभीरता से लिया जाएगा। ऐसे मामलों में राज्य सरकार संबंधित कलेक्टर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि जनता को सुशासन देने के लिए जरूरी है कि उनकी पूरी बात सुनी जाए और वाजिब समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाए। उन्हें अनावश्यक चक्कर नहीं कटवाए जाएं।
जिला कलेक्टरों को हर माह की 5 तारीख को अपनी रिपोर्ट भेजनी होगी। इस रिपोर्ट में उन्हें यह बताना होगा कि एक माह में कुल कितने दौरे किए, कितने रात्रि विश्राम किए और कितने लोगों की समस्याएं सुनकर उनका समाधान किया गया। मुख्यमंत्री ने जन सुनवाई के लिए 2.30 से 3.30 बजे का समय निर्धारित किया है। इस समय में कलेक्टर अपने कक्ष में ही जनता की समस्याएं सुनेंगे। ताकि दूर से आने वाले ग्रामीण समस्या बताकर समय से गांव लौट सकें।
कुछ समय से मुख्यमंत्री निवास पर होने वाली जन सुनवाई में फरियाद लेकर आने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। रोजाना सैकड़ों लोग आ रहे थे। इससे लगा कि जिला स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसलिए सीएम ने सुनवाई के निर्देश दिए। कलेक्टर कांफ्रेंस में भी यह मुद्दा उठा था कि अधिकारी लोगों की समस्याएं का समाधान नहीं कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर ही समस्याओं का समाधान हो जाए तो लोगों को सीएम तक नहीं आना पड़े।

0 टिप्पणियाँ: