पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, November 23, 2009

डॉक्टर को भारी पड़ी कोर्ट की अवमानना


पानीपत ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट इन चीफ आरके वाट्स की अदालत में शनिवार को एक सरकारी डाक्टर को अदालत की अवमानना करना भारी पड़ गया। अदालत ने डाक्टर को भारतीय दंड संहिता की धारा 228 के तहत नोटिस थमा दिया। यही नहीं, न्यायाधीश के आदेश के बाद डाक्टर को लगभग 5 घंटे तक पुलिस कस्टडी में भी रखा गया।

जानकारी के अनुसार शनिवार को मेडिकल ऑफिसर आलोक जैन की आरके वाट्स की अदालत में गवाही थी। डा. जैन सुबह लगभग 10 बजे ही अदालत पहुंच गए। अदालत में पहुंचने के बाद डाक्टर ने नायब कोर्ट जोगेंद्र सिंह को सरकारी वकील को बुलाकर लाने के लिए कहा। इसके बाद जैसे ही न्यायाधीश आरके वाट्स ने अपनी कुर्सी संभाली, उसी समय डा. जैन ने उन्हें जल्दी काम निपटा कर फारिग करने को कहा।

इस पर न्यायाधीश ने डा. जैन को बदतमीजी से पेश न आने की चेतावनी दी। इस पर डाक्टर और न्यायाधीश के बीच बहस बढ़ती गई। इसके बाद न्यायाधीश आरके वाट्स ने डाक्टर को भारतीय दंड संहिता की धारा 228 के तहत नोटिस जारी करने तथा पुलिस कस्टडी में लिए जाने के आदेश दे दिए। इस कार्रवाई के तहत डा. आलोक जैन लगभग 2:30 बजे तक अदालत में पुलिस कस्टडी के बीच रहे। डाक्टर द्वारा माफी मांगने के बाद ही न्यायाधीश ने डा. आलोक जैन को जाने दिया।

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