पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, August 23, 2009

संजीव नंदा को तीन महीने पहले मिली जेल से रिहाई।

बीएमडब्लू हिट एंड रन मामले में तिहाड़ में दो वर्ष कैद की सजा काट रहे संजीव नंदा को अच्छे आचरण के कारण शुक्रवार को तीन महीने पहले ही जेल से रिहा कर दिया गया। करीब दस वर्ष तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने उसे दो वर्ष के कैद की सजा सुनाई थी। वह तिहाड़ की जेल संख्या चार में बंद था। उसे जेल से ले जाने के लिए शुक्रवार को पिता-मां व उसकी बहन आई थी।

ज्ञात हो कि शराब के नशे में धुत्ता संजीव नंदा ने 10 जनवरी 1999 को अपनी बीएमडब्लू कार से छह लोगों को कुचल दिया था। मरने वालों में तीन पुलिसकर्मी भी थे। अदालत में मामले की लंबी सुनवाई चली। पिछले वर्ष निचली अदालत ने संजीव नंदा को पांच वर्ष की कैद की सजा सुनाई थी। बाद में हाईकोर्ट ने उसकी सजा को पांच वर्ष से घटाकर दो वर्ष की कर दी थी।

जेल के कानून अधिकारी सुनील गुप्ता का कहना है कि जेल में अच्छे आचरण वाले कैदियों को राष्ट्रीय त्योहार के समय हर वर्ष सजा में कुछ छूट दी जाती थी। जेल में रहने के दौरान संजीव नंदा का काफी अच्छा व्यवहार रहा। उसने जेल में कैदियों के उत्थान के कार्यो में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने के साथ ही उन्हें कंप्यूटर और अंग्रेजी की शिक्षा भी दी। इन सभी चीजों को देखते हुए इस वर्ष पंद्रह अगस्त को सजा कम किए गए 600 कैदियों में से संजीव नंदा के नाम की भी संस्तुति की गई थी। बाद में कुछ लोगों समय से पहले छोड़ दिया गया था। इसी घटना क्रम में शुक्रवार को संजीव नंदा को भी आजाद कर दिया गया।

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