राजस्थान उच्च न्यायालय ने वर्ष 2003 में जारी नर्स ग्रेड द्वितीय पदों की भत्र्ती के मामले में योग्यताधारी महिला अभ्यर्थी की याचिका स्वीकार कर उसे तीन महीने में नियुक्ति दिए जाने के आदेश दिए हैं।
मामले के अनुसार सुमन पूनिया निवासी झुंझुनूं ने अधिवक्ता संजय महला के जरिए उच्च न्यायालय में रिट प्रस्तुत की। रिट में बताया गया कि वर्ष 2003 में उसने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान जयपुर की ओर से जारी भर्ती विज्ञापन में आवेदन किया था।
उसके महिला (ओबीसी) में 61.46 फीसदी अंक आने तथा सामान्य महिला में कट ऑफ मार्क्स 60 फीसदी होने के बावजूद भी नियुक्ति से वंचित कर दिया। इस पर उच्च न्यायालय ने सचिव व निदेशक चिकित्स व स्वास्थ्य विभाग से जवाब-तलब किया।
अधिवक्ता महला ने अन्य नजीरों के साथ उच्चतम न्यायालय द्वारा इंदिरा साहनी मामले में आरक्षण संबंधी प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर प्रार्थी को नियुक्ति दिए जाने की प्रार्थना की। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधिपति मोहम्मद रफीक ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान को इस महिला अभ्यर्थी को बीच के अंतराल के लाभों के साथ तीन महीने में नियुक्ति दिए जाने के आदेश दिए हैं।
मामले के अनुसार सुमन पूनिया निवासी झुंझुनूं ने अधिवक्ता संजय महला के जरिए उच्च न्यायालय में रिट प्रस्तुत की। रिट में बताया गया कि वर्ष 2003 में उसने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान जयपुर की ओर से जारी भर्ती विज्ञापन में आवेदन किया था।
उसके महिला (ओबीसी) में 61.46 फीसदी अंक आने तथा सामान्य महिला में कट ऑफ मार्क्स 60 फीसदी होने के बावजूद भी नियुक्ति से वंचित कर दिया। इस पर उच्च न्यायालय ने सचिव व निदेशक चिकित्स व स्वास्थ्य विभाग से जवाब-तलब किया।
अधिवक्ता महला ने अन्य नजीरों के साथ उच्चतम न्यायालय द्वारा इंदिरा साहनी मामले में आरक्षण संबंधी प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर प्रार्थी को नियुक्ति दिए जाने की प्रार्थना की। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधिपति मोहम्मद रफीक ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान को इस महिला अभ्यर्थी को बीच के अंतराल के लाभों के साथ तीन महीने में नियुक्ति दिए जाने के आदेश दिए हैं।
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