सुप्रीम कोर्ट ने आज मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के दफ्तर को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के कानून के दायरे में लाने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।
चीफ जस्टिस केजी बालाकृष्णन द्वारा अपने सभी न्यायाधीशों से सलाह के बाद कोर्ट की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि सीजेआई दफ्तर की सूचनाएं बेहद संवेदनशील होती हैं और इनका खुलासा होने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंच सकता है।
इस याचिका को तकरीबन एक महीने पहले ही तैयार कर लिया गया था। एडवोकेट देवदत्त कामत ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार की तरफ से इसे दाखिल किया है। एटॉर्नी जनरल जीई वहनवाती इसकी पैरवी करेंगे।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने गत महीने 12 जनवरी को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का ऑफिस भी सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में आता है।
चीफ जस्टिस केजी बालाकृष्णन द्वारा अपने सभी न्यायाधीशों से सलाह के बाद कोर्ट की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि सीजेआई दफ्तर की सूचनाएं बेहद संवेदनशील होती हैं और इनका खुलासा होने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंच सकता है।
इस याचिका को तकरीबन एक महीने पहले ही तैयार कर लिया गया था। एडवोकेट देवदत्त कामत ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार की तरफ से इसे दाखिल किया है। एटॉर्नी जनरल जीई वहनवाती इसकी पैरवी करेंगे।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने गत महीने 12 जनवरी को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का ऑफिस भी सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में आता है।
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