महावीर चक्र से सम्मानित निशक्त हवलदार को पेंशन नहीं देने पर सैन्य अधिकरण की क्षेत्रीय पीठ जयपुर ने सेना पर 30 हजार रुपए जुर्माना किया है। साथ ही तीन महीने में बकाया निशक्तता पेंशन 9 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिए हैं।
अधिकरण ने सोमवार को दिग्रेन्द्र कुमार की प्रार्थना पर ये आदेश दिए। आदेश में कहा कि सेना के अफसरों का व्यवहार अमानवीय है। ऐसे मामलों में अफसरों को संवेदनापूर्ण व्यवहार करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। युद्ध में घायल होने से प्रार्थी 80 फीसदी निशक्त हो गया, इसके बावजूद उसे पेंशन के लिए परेशान किया गया।
दिग्रेन्द्र कुमार सेना में हवलदार के पद पर तैनात थे। कारगिल युद्ध के दौरान 1999 में उन्होंने ऑपरेशन विजय में भाग लिया। घायल होने पर भी कर्तव्य पालन करते हुए उन्होंने दुश्मन को खदेड़ कर टोलोलींग चौकी पर कब्जा कर लिया। इस साहस के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
अधिकरण ने सोमवार को दिग्रेन्द्र कुमार की प्रार्थना पर ये आदेश दिए। आदेश में कहा कि सेना के अफसरों का व्यवहार अमानवीय है। ऐसे मामलों में अफसरों को संवेदनापूर्ण व्यवहार करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। युद्ध में घायल होने से प्रार्थी 80 फीसदी निशक्त हो गया, इसके बावजूद उसे पेंशन के लिए परेशान किया गया।
दिग्रेन्द्र कुमार सेना में हवलदार के पद पर तैनात थे। कारगिल युद्ध के दौरान 1999 में उन्होंने ऑपरेशन विजय में भाग लिया। घायल होने पर भी कर्तव्य पालन करते हुए उन्होंने दुश्मन को खदेड़ कर टोलोलींग चौकी पर कब्जा कर लिया। इस साहस के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
मेडिकल बोर्ड ने उन्हें 80 प्रतिशत निशक्त माना और जुलाई 05 में उनकी प्रार्थना पर उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया गया। सेना ने यह कहते हुए निशक्तता पेंशन देने से इनकार कर दिया कि उन्होंने स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति ली है। दिग्रेन्द्र ने पेंशन के लिए कई बार सैन्य व पेंशन मुख्यालय से मांग की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
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