उच्चतम न्यायालय ने विवाहपूर्व यौन सम्बन्धों और सहजीवन की वकालत करने वाले लोगों के माफिक व्यवस्था देते हुए कहा कि किसी महिला और पुरुष के बगैर शादी किए एक साथ रहने को अपराध नहीं माना जा सकता।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सहजीवन या विवाहपूर्व यौन सम्बन्धों पर रोक के लिए कोई कानून नहीं है। न्यायालय ने यह व्यवस्था दक्षिण भारतीय अभिनेत्री खुशबू की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई के दौरान अपना फैसला सुरक्षित करते हुए दी है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति केजी बालकृष्णन, न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने कहा, ‘दो बालिग लोगों का एक साथ रहना आखिर कौन सा गुनाह है। क्या यह कोई अपराध है? एक साथ रहना कोई गुनाह नहीं है। यह कोई अपराध नहीं हो सकता।’ न्यायालय ने कहा कि यहां तक कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कृष्ण और राधा भी साथ-साथ रहते थे।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति केजी बालकृष्णन, न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने कहा, ‘दो बालिग लोगों का एक साथ रहना आखिर कौन सा गुनाह है। क्या यह कोई अपराध है? एक साथ रहना कोई गुनाह नहीं है। यह कोई अपराध नहीं हो सकता।’ न्यायालय ने कहा कि यहां तक कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कृष्ण और राधा भी साथ-साथ रहते थे।
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment