दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका के आधार पर केंद्रीय संघ लोक सेवा आयोग यूपीएससी को वर्ष 2010 की प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण सभी अभ्यर्थियों के अंकों की घोषणा करने का आदेश दिया है.
यह आदेश उस याचिका पर आया है जिसमें यूपीएससी को हर विषय के लिए सामान्य, अन्य पिछडा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति जैसी विभिन्न श्रेणियों के अभ्यर्थियों के लिए कट आफ़ अंक घोषित करने तथा संबद्ध दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराने की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने वर्ष 2010 की लोक सेवा प्रारंभिक परीक्षा के सभी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के रोल नंबर तथा उनको मिले अंकों का खुलासा करने की मांग भी की थी. उच्च न्यायालय ने बहरहाल, आयोग को उन याचिकाकर्ताओं के परिणामों का खुलासा न करने के लिए कहा है जो वर्ष 2010 की प्रारंभिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण रहे थे.
न्यायमूर्ति एस मुरलीधर ने अपने हालिया आदेश में कहा ‘‘अगर उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के पूरे अंक उनके रोल नंबर के साथ बताए जाते हैं तो यूपीएससी या उत्तीर्ण अभ्यर्थी के साथ कोई पक्षपात नहीं होगा, बल्कि ऐसा करना जनहित में होगा.’’
अदालत ने यूपीएससी के वकील की यह दलील खारिज कर दी कि आयोग सूचनाओं का खुलासा नहीं करेगा क्योंकि अभ्यर्थियों ने अपना आवेदन केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी सीपीआईओ को देने के बजाय सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दाखिल किया है.
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