पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, January 31, 2010

हल्दीराम के मालिक को उम्रकैद की सजा

हल्दीराम भुजियावाला के मालिक प्रभु शंकर अग्रवाल और 4 अन्य लोगों को यहां की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने एक चाय स्टॉल मालिक की हत्या की साजिश रचने और इसकी कोशिश करने के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई। अग्रवाल द्वारा निर्माणाधीन फूड प्लाजा के रास्ते में प्रमोद शर्मा की टी स्टॉल आ रही थी और दुकान नहीं हटाने के बाद उसकी हत्या की कोशिश की गई।

बैंकशैल अदालत के जज तपन सेन ने प्रभु शंकर अग्रवाल के अलावा हिस्ट्रीशीटरों- गोपाल तिवारी, अरुण खंडेलवाल, मनोज शर्मा और राजू सोनकर को धारा-307/34 (हत्या की कोशिश/ अपराध का एकसमान इरादा) के तहत 10 साल के सश्रम कारावास की सजा के अलावा धारा-120बी (आपराधिक साजिश रचने) के तहत यह सजा सुनाई। तिवारी को आर्म्स ऐक्ट के तहत कसूरवार पाया गया और एक धारा में उसे सात साल की एवं एक अन्य धारा में तीन साल की कैद की सजा सुनाई गई। जज ने अपने फैसले में कहा कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

मिठाई-नमकीन एवं अन्य फूड प्रॉडक्ट्स बेचने वाली करोड़ों रुपये की चेन हल्दीराम के मालिक अग्रवाल यहां बड़ा बाजार इलाके में चाय दुकान के मालिक सत्यनारायण शर्मा को दुकान हटाने के लिए नहीं मना सके। इसके बाद उनके किराए के गुंडों ने सत्यनारायण की दुकान पर धावा बोला, लेकिन वह वहां नहीं मिले। इसके बाद 30 मार्च, 2005 को इन गुंडों ने उसके भतीजे प्रमोद शर्मा को गोली मार दी, जिसमें वह गंभीर तौर पर जख्मी हो गए।

इससे पहले अग्रवाल ने जज के सामने दया याचिका की थी और कहा था कि मेरे हजारों कर्मचारी और उनके परिवार मुझ पर आश्रित हैं और मेरे जेल में रहने से कारोबार प्रभावित होगा। चार अन्य दोषियों ने भी सजा में छूट की मांग की।

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