पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, January 23, 2010

वोटर लिस्ट में फोटो के आड़े न आए मजहब

सुप्रीमकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सचित्र मतदाता सूची तैयार करने का विरोध करने के लिए धार्मिक भावनाओं का दोहन नहीं जाना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन और न्यायाधीश दीपक वर्मा ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि मैं अब भी बुर्कानशीं हूं। याचिका में मुस्लिम महिला की तस्वीर छापने को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि यह उनकी धार्मिक मान्यता के खिलाफ है।

मद्रास हाईकोर्ट ने सात सितम्बर वर्ष 2006 में एम अजमल खान की याचिका को मदुरै सेंट्रल उप चुनाव से कुछ दिन पहले खारिज कर दिया था और व्यवस्था दी थी कि पर्दा की प्रथा इस्लाम का हिस्सा नहीं है। इस याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस के. जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि धार्मिक आस्थाएं संवैधानिक नियमों से ऊपर नहीं हो सकती हैं। वोटिंग संवैधानिक अधिकार है और अगर आप वोट देना चाहते हैं तो फोटो जरूरी है। अगर मुस्लिम महिला चुनाव लड़े तो क्या वह फोटो नहीं खिंचवाएगी? तब आप यह नहीं कह सकते कि मैं अब भी बुर्का ओढ़े हूं। मद्रास हाई कोर्ट ने एम. अजमल खान की याचिका को 7 सितंबर 2006 को यह कहते हुए खारिज किया था कि पर्दा इस्लाम धर्म का हिस्सा नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले में सुनवाई को दो हफ्ते के लिए टालते हुए कहा कि फोटो आईडी कार्ड चुनावी प्रक्रिया के लिए जरूरी है। धार्मिक भावनाओं को वैधानिक नियमों के आड़े नहीं आना चाहिए। अगर आप वोट डालना चाहते हैं तो फोटोग्राफ जरूरी है।

मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। याची ने अपनी याचिका में संविधान की धारा 25 के तहत धार्मिक मामलों में आजादी के अधिकार का जिक्र करते हुए कहा था कि वोटर लिस्ट में बुर्कानशीं महिला का फोटो हमारी धार्मिक भावनाओं में हस्तक्षेप है। हम फोटो आईडी कार्ड जारी करने के लिए आयोग के अधिकार पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। हम सिर्फ वोटर लिस्ट में ऐसी महिलाओं के फोटोग्राफ छापने और उसे लोगों व राजनीतिक दलों में बांटने के खिलाफ हैं। हम चाहते हैं कि ये वोटर लिस्ट सिर्फ उन्हीं अधिकारियों तक सीमित रहे जो वेरिफिकेशन के अधिकारी हैं। अगर इन्हें यों ही सार्वजनिक कर दिया गया तो इन तस्वीरों के बेजा इस्तेमाल की आशंका है। याची ने कुरान का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें भी कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं को पर्दा करना चाहिए।

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