पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, August 23, 2010

महिलाओं को परदे के लिए मजबूर न करें: बांग्लादेश हाई कोर्ट

बांग्लादेश में हाई कोर्ट ने वहां की सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि शैक्षिक संस्थानों और कार्यस्थलों पर महिलाओं को चेहरे पर परदा डालने के लिए विवश नहीं किया जाए और न ही उन्हें सांस्कृतिक या खेल गतिविधियों में भाग लेने से रोका जाए।

न्यायमूर्ति एएमएच शम्सुद्दीन चौधरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अखबारी खबरों को आधार बनाकर महमूद शौफीक और केएचकेएम हफीजुल आलम की ओर से दायर जनिहत याचिका पर सुनवाई के दौरान रविवार को यह अंतिरम आदेश जारी किया।

न्यायालय ने साथ ही पूछा कि शैक्षिक संस्थानों और कार्यस्थलों पर महिलाओं को चेहरे पर परदा डालने के अनिवार्य प्रावधानों तथा ऐसा नहीं करने पर उन्हें सांस्कृतिक या खेल गतिविधियों में भाग लेने से रोकने को क्यों न अवैध करार दिया जाए। न्यायालय ने साथ ही नटोर रानी भवानी राजकीय महिला महाविद्यालय के प्रधानाचार्य को 26 अगस्त तक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर इस संदर्भ में अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

बंग्‍ला अखबार 'कालेर कांता' में छपी खबर में कहा गया था कि उक्त प्रधानाचार्य ने कालेज आने वाली सभी छात्राओं के लिए परदा अनिवार्य कर दिया था। इसके बाद दायर याचिका पर न्यायालय ने यह फैसला किया

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