उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि लम्बे समय तक "लिव इन रिलेशन" में जीवन व्यतीत करने को चलता-फिरता सम्बंध करार नहीं दिया जा सकता।
न्यायाधीश पी. सदाशिवम एवं न्यायाधीश बीएस चौहान की खण्डपीठ ने सम्पत्ति विवाद से जुड़े एक मुकदमे का निपटारा करते हुए यह व्यवस्था दी। यह मामला चंद्रदेव सिंह नामक व्यक्ति की परिसम्पत्ति से जुड़ा था। चंद्रदेव की पहली पत्नी मर गई थी और उसने शकुंतला नामक दूसरी महिला के साथ अंतिम सांस तक जीवन बसर किया।
पहली पत्नी से उत्पन्न पुत्र मदन मोहन सिंह ने शकुंतला से जन्मे बच्चों को सम्पत्ति में यह कहते हुए हिस्सा देने से इनकार किया था कि उसकी कथित सौतेली मां ने औपचारिक रूप से उसके पिता से शादी नहीं की थी। हालांकि सभी अधीनस्थ अदालतों ने शकुंतला से उत्पन्न संतानों के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन मदन मोहन एवं अन्य ने इस सिलसिले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
न्यायाधीश पी. सदाशिवम एवं न्यायाधीश बीएस चौहान की खण्डपीठ ने सम्पत्ति विवाद से जुड़े एक मुकदमे का निपटारा करते हुए यह व्यवस्था दी। यह मामला चंद्रदेव सिंह नामक व्यक्ति की परिसम्पत्ति से जुड़ा था। चंद्रदेव की पहली पत्नी मर गई थी और उसने शकुंतला नामक दूसरी महिला के साथ अंतिम सांस तक जीवन बसर किया।
पहली पत्नी से उत्पन्न पुत्र मदन मोहन सिंह ने शकुंतला से जन्मे बच्चों को सम्पत्ति में यह कहते हुए हिस्सा देने से इनकार किया था कि उसकी कथित सौतेली मां ने औपचारिक रूप से उसके पिता से शादी नहीं की थी। हालांकि सभी अधीनस्थ अदालतों ने शकुंतला से उत्पन्न संतानों के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन मदन मोहन एवं अन्य ने इस सिलसिले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
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