पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, May 9, 2009

जयपुर के वैज्ञानिक की खोज

टोकियो (जापान) विश्वविद्यालय के जयपुर निवासी प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. मनीष बियानी ने प्रयोगशाला में ऐसी ‘ब्लड चैकअप चिप’ ईजाद की है, जिसके जरिए व्यक्ति घर पर ही अपने खून की जांच कंप्यूटर से करने के बाद चिकित्सक से संपर्क कर सकता है।

इन दिनों विद्याधर नगर स्थित अपने घर आए डॉ. बियानी ने बताया कि केंद्र सरकार के सहयोग से इस आधुनिक तकनीक को भारत में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि जापान में मरीजों पर अध्ययन के बाद इसका उपयोग शुरू कर दिया है तथा वहां की सरकार से पेटेंट भी करा लिया गया है। 

इस तरह होगी खून की जांच : 2 3 2 सेमी के आकार की कांच की बनी पेनलेस निडिल (दर्द-रहित सुई) को शरीर में चुभाकर आवश्यक खून (एक बूंद का 10वां हिस्सा यानी लगभग 6 माइक्रो लीटर) निकालते हैं। 

यह खून निडिल से जुड़े माइक्रोचैनल से होता हुआ चिप के माइक्रोचेम्बर्स में प्रवेश करता है, जिनमें बायोसेंसर्स लगे रहते हैं, जो खून में उपस्थित ग्लूकोज, यूरिया, नाइट्रोजन, आयरन आदि का विश्लेषण करते हैं। इसके बाद चिप को कंप्यूटर में लगाकर ये जानकारियां देख सकते हैं और इंटरनेट के जरिए डॉक्टर को भेज सकते हैं। 

चिप के फायदे

* कोई साइड इफेक्ट नहीं
* शरीर में चुभाने पर दर्द नहीं
* बार-बार डॉक्टर के चक्कर काटने की आवश्कता नहीं
* जांच रिपोर्ट सिर्फ 10 से 15 मिनट में
* लैब में जाने की जरूरत नहीं

डॉ. बियानी ने लैब में ब्लड चैकअप चिप बनाकर राजस्थान का गौरव बढ़ाया है। इस चिप से होने वाले फायदों का परीक्षण करके उसका उपयोग करने का प्रयास किया जाएगा, पर इस संबंध में राज्य व केन्द्र सरकार के सहयोग की जरूरत होगी।

1 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

यकीन मानिये कि आयुर्वेद को राज्याश्रय होता तो बात कुछ और ही होती, हमें इसकी मोहताजी न होती कि हम इंटरनेट से अमेरिका में बैठे चिकित्सक को रक्त की जांच रिपोर्ट भेज कर उपचार करवाएं क्योंकि भारत में तो अभी इस स्थिति से एक आम आदमी कई सौ साल पीछे है यानि घूम-फिर कर पैसा अमेरिका ही जाना है क्योंकि कोई भारतीय कंपनी इस चिप का उत्पादन तो करने से रही। हमारे सिस्टम को तो आयुर्वेद के क्रान्तिकारी अविष्कार E.T.G.के बारे में ही होश नहीं है जिससे कि देह विकारों की सम्पूर्ण लगभग बीस पन्नों की कम्प्युटराईज्ड रिपोर्ट मिलती है, शायद कभी बदलाव आएगा
सादर
डा.रूपेश श्रीवास्तव