पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, May 9, 2009

वरुण गाँधी को राहत, रासुका खारिज

वरुण गाँधी को राहत प्रदान करते हुए उत्तरप्रदेश के एक सलाहकार बोर्ड ने कथित रूप से घृणा फैलाने वाले भाषणों के मामले में कठोर रासुका कानून के तहत भाजपा के युवा नेता की गिरफ्तारी को एक फैसले में अमान्य ठहराया है तथा इस निर्णय को मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ माना जा रहा है।

बोर्ड ने कहा कि उसे वरुण के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाए जाने का न तो कोई स्पष्ट एवं संतोषजनक आधार मिला न ही वह पीलीभीत जिला मजिस्ट्रेट के सपष्टीकरण से संतुष्ट हैं।

उत्तरप्रदेश के गृह सचिव जावेद अहमद ने बताया कि वरुण गाँधी के खिलाफ रासुका लगाए जाने को बोर्ड ने अमान्य करार दिया है। उप्र सरकार ने बोर्ड की सिफारिश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय किया है।

अतिरिक्त कैबिनेट सचिव विजय शंकर पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार सलाहकार बोर्ड के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। इस बीच उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि आदेश राज्य सरकार पर बाध्यकारी है।

पीलीभीत से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी 29 वर्षीय वरुण जेल में करीब तीन हफ्ते गुजारने के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत फिलहाल पैरोल पर हैं। वे 16 अपैल को एटा जेल से रिहा हुए थे। उनकी पैरोल की अवधि 14 मई को समाप्त हो रही है। 

वरुण को यह राहत तीन सदस्यीय सलाहकार बोर्ड ने दी है, जिसकी अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश प्रदीप कांत कर रहे थे। बोर्ड ने उप्र सरकार द्वारा रासुका के तहत वरुण की हिरासत के मामले में गौर किया था। वरुण व्यक्तिगत तौर पर बोर्ड के समक्ष उपस्थित हुए थे।

भाजपा ने इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इससे साफ हो गया है कि वरुण पर रासुका लगाए जाने का कदम राजनीति से प्रेरित है। राहुल के समर्थकों ने बोर्ड का आदेश आने के बाद पीलीभीत में जश्न मनाया।

वरुण सलाहकार बोर्ड के समक्ष 28 अपैल को पेश हुए और उन्होंने आरोप लगाया कि जिस सीडी के आधार पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई उससे छेड़छाड़ की गई है। 

भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बोर्ड के आदेश ने संप्रग सरकार और इसकी वोट बैंक की राजनीति को बुरी तरह बेनकाब कर दिया है। 

कांगेस ने इस मामले को अधिक तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि वरुण द्वारा उच्चतम न्यायालय को अच्छे व्यवहार का शपथ-पत्र देने के बाद इस मामले की प्रासंगिकता खत्म हो गई है। कांगेस नेता कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि वरुण गाँधी के खिलाफ कठोर कानून लगाने के उप्र सरकार के फैसले से केन्द्र का कोई लेना-देना नहीं है।

सरकार फैसले को चुनौती देगी : उत्तरप्रदेश सरकार ने पीलीभीत से भाजपा उम्मीदवार वरुण गाँधी के विरुद्ध लगाए गए रासुका को अवैध करार देने के राज्य सलाहकार बोर्ड के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है।

ऐतिहासिक फैसला : भाजपा नेता वरुण गाँधी ने कहा कि उत्तरप्रदेश सलाहकार बोर्ड द्वारा उनके खिलाफ रासुका को अमान्य करार दिए जाने से केंद्र और उत्तरप्रदेश सरकार की राजनीतिक फायदे के लिए की गयी साजिश उजागर होती है। वरुण ने कहा कि मैंने न्याय व्यवस्था में पूरी तरह आस्था जताई थी, जो आज पूरी तरह प्रमाणित हुई है।


0 टिप्पणियाँ: