सिपाहियों की बहाली के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। गुरुवार को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य के अधिकारियों के खिलाफ चल रही अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है। अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 25 मई को सुनवाई करेगा।
गत 20 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को 27 मई तक सिपाहियों की बहाली के आदेश पर अमल करने को कहा था। हाईकोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि 27 मई तक आदेश पर अमल न हुआ तो डीजीपी व गृह विभाग के प्रमुख सचिव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाएगी। राज्य सरकार ने इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से पेश एडीशनल एडवोकेट जनरल शैल कुमार द्विवेदी ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया। उन्होंने न्यायमूर्ति मार्कडेय काटजू की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही सिपाहियों की बहाली तथा गलत भर्तियों को चिन्हित करने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है जिस पर नोटिस भी जारी हो चुका है। इसके बावजूद हाईकोर्ट ने 27 मई तक सिपाहियों की बहाली का आदेश दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल कोई आदेश पारित करने से इन्कार करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अभी तक अर्जी दाखिल नहीं की है और राहत मांग रही है। पहले अर्जी दाखिल हो फिर सुनवाई की जाएगी। हालांकि कोर्ट ने 25 मई को सुनवाई की अनुमति दे दी है।
राज्य सरकार की अर्जी में कहा गया है कि हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लंबित रहने के दौरान अवमानना याचिका पर सुनवाई टाल देनी चाहिए थी लेकिन हाईकोर्ट ने सिर्फ यह कहते हुए सुनवाई स्थगित करने से मना कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई है। राज्य सरकार ने कहा कि अगर सिपाहियों की बहाली आदेश पर अमल किया जाएगा तो सुप्रीम कोर्ट में लंबित राज्य सरकार की याचिका महत्वहीन हो जाएगी।
गत 20 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को 27 मई तक सिपाहियों की बहाली के आदेश पर अमल करने को कहा था। हाईकोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि 27 मई तक आदेश पर अमल न हुआ तो डीजीपी व गृह विभाग के प्रमुख सचिव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाएगी। राज्य सरकार ने इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से पेश एडीशनल एडवोकेट जनरल शैल कुमार द्विवेदी ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया। उन्होंने न्यायमूर्ति मार्कडेय काटजू की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही सिपाहियों की बहाली तथा गलत भर्तियों को चिन्हित करने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है जिस पर नोटिस भी जारी हो चुका है। इसके बावजूद हाईकोर्ट ने 27 मई तक सिपाहियों की बहाली का आदेश दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल कोई आदेश पारित करने से इन्कार करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अभी तक अर्जी दाखिल नहीं की है और राहत मांग रही है। पहले अर्जी दाखिल हो फिर सुनवाई की जाएगी। हालांकि कोर्ट ने 25 मई को सुनवाई की अनुमति दे दी है।
राज्य सरकार की अर्जी में कहा गया है कि हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लंबित रहने के दौरान अवमानना याचिका पर सुनवाई टाल देनी चाहिए थी लेकिन हाईकोर्ट ने सिर्फ यह कहते हुए सुनवाई स्थगित करने से मना कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई है। राज्य सरकार ने कहा कि अगर सिपाहियों की बहाली आदेश पर अमल किया जाएगा तो सुप्रीम कोर्ट में लंबित राज्य सरकार की याचिका महत्वहीन हो जाएगी।
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