राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक मामले में 47 साल पुराने मुकदमें की कार्रवाई निरस्त कर दी है। अधिवक्ता अनूप ढंड ने बताया कि सन् 1962 में पुलिस थाना सीकर पर परिवादी निसार अहमद ने छह व्यक्तियों के विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। न्यायालय में अधिवक्ता ढंड ने तर्क दिया कि मामला 47 वर्ष पहले दर्ज हुआ और अब इस मामले से संबंधित कोई भी एफआईआर, चार्जशीट अन्य दस्तावेज कहीं भी उपलब्ध नहीं है।
ऐसी स्थिति में अन्वीक्षा किया जाना संभव नहीं है। अधिवक्ता ढंड ने न्यायालय को बताया कि इन हालातों में मामला जारी रखना, प्रार्थी के मौलिक जीवन जीने के अधिकार का घोर उल्लंघन है। समस्त तर्को व तथ्यों को ध्यान में रखते हुए न्यायाधिपति करणीसिंह राठौड़ ने याचिका मंजूर कर अन्वीक्षा को प्रार्थी के मौलिक जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन मानते हुए 47 वर्ष पुराने मामले की कार्रवाई को निरस्त करने के आदेश पारित किए।
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