पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, October 23, 2009

विद्यार्थी मित्र शिक्षकों की समान काम-समान वेतन की मांग खारिज ।


राजस्थान हाईकोर्ट ने वेतन के मामले में संविदा कर्मियों को नियमित कर्मचारियों के समान मानने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने विद्यार्थी मित्र शिक्षकों की समान काम-समान वेतन की मांग वाली 126 अपीलों को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। इन अपीलों में विद्यार्थी मित्र शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन व ग्रीष्मकालीन अवकाश का वेतन दिलाने की मांग की गई थी। राजेन्द्र कुमार सैनी व अन्य की इन अपीलों में एकलपीठ के इन मांगों पर उनके पक्ष में आदेश नहीं देने को चुनौती दी थी।

मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला व न्यायाधीश मनीष भण्डारी की खण्डपीठ ने कहा कि विद्यार्थी मित्र शिक्षक नियमित शिक्षकों की भर्ती के लिए बने नियमों के तहत नहीं लगे। इनकी नियुक्ति निर्धारित प्रक्रिया अपनाने के बजाए पूर्णत: संविदा पर हुई, इसलिए नियमित नहीं हो सकते।  नियमित कर्मचारी व संविदाकर्मी समान नहीं हैं, इसलिए तुलना नहीं हो सकती। तीन-चार वर्ष पद खाली रहने पर अस्थाई तौर पर यह नियुक्ति की जाती है, अगले शिक्षा सत्र के लिए पुन: नियुक्ति होती है। इसलिए विद्यार्थी मित्र शिक्षकों को ग्रीष्मकाल का वेतन नहीं मिल सकता।

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