पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, October 10, 2009

चुनाव प्रक्रिया में दखल न दे हाई कोर्टः सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से संबद्ध बंबई हाईकोर्ट के एक फैसले को यह कहकर खारिज कर दिया कि निर्वाचिन प्रक्रिया में हस्तक्षेप पर संवैधानिक रोक चीन की महान दीवार के समान है, उसे लांघा नहीं जा सकता। जस्टिस बीएन अग्रवार और जस्टिस आफताब आलम की पीठ ने मंगलवार को बंबई हाईकोर्ट का वह आदेश खारिज कर दिया जिसमें उसने निर्वाचन आयोग से एक ऎसे उम्मीदवार को चुनाव ल़डने की इजाजत देने को कहा था जिसका नामांकन पत्र वह रद्द कर चुका था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह निर्वाचन आयोग की इस दलील से सहमत हैं कि निर्वाचन प्रक्रिया में अदालती हस्तक्षेप पर संवैधानिक रोक चीन की महान दीवार की तरह है जिसे कोई भी अदालत लांघ नहीं सकती। निर्वाचन आयोग ने बंबई हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
बंबई हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग से यादव राव भीमाराव सूर्यवंशी को चुनाव ल़डने की इजाजत देने को कहा था। वह पंजीकृत किन्तु गैर मान्यता प्राप्त जनसुराज्य शक्ति पार्टी की ओर से प्रत्याशी थे। हाईकोर्ट ने आयोग को आदेश दिया था कि सूर्यवंशी का नामांकन रद्द होने के बावजूद वह 13 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में उसे ओमेरगा सुरक्षित विधानसभा सीट से चुनाव ल़डने की इजाजत दे।
निर्वाचन अधिकारी ने सूर्यवंशी का नामांकन इसलिए रद्द कर दिया था, क्योंकि उन्होंने अपने नाम का प्रस्ताव करने वाले अपने निर्वाचन क्षेत्र के दस मतदाताओं में से एक का मतदाता अनुक्रमांक गलत दर्ज किया था। नियमानुसार मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के अलावा अन्य उम्मीदवार को अपने नाम का प्रस्ताव उक्त निर्वाचन क्षेत्र के दस मतदाताओं से कराना प़डता है। बंबई हाईकोर्ट ने अपने फैसले नें कहा था कि नामांकन पत्र तकनीकी या लिपिकीय असंगतियों के कारणों से रद्द नहीं किए जाने चाहिए।

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