पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, October 8, 2009

अजमेर महापौर को जेल, फिर रिहाई।


अजमेर के क्रिश्चियन गंज थाना इलाके में पिछले साल ट्रैफिक पुलिस के सिपाही से मारपीट व राजकार्य में बाधा पहुंचाने के आरोप में पुलिस ने बुधवार को महापौर धर्मेंद्र गहलोत को गिरफ्तार कर लिया।  निचली अदालत ने गहलोत की ओर से दायर जमानत याचिका नामंजूर करते हुए उन्हें जेल भेज दिया। बाद में सेशन कोर्ट से जमानत मिलने पर शाम तकरीबन चार बजे गहलोत को रिहा कर दिया गया। गहलोत के खिलाफ 5 जनवरी 08 को क्रिश्चियन गंज थाना में ट्रैफिक पुलिस के एक सिपाही से मारपीट करने व राजकार्य में बाधा पहुंचाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था।

गहलोत के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का विरोध करने 7 जनवरी 08 को कलेक्ट्रेट पहुंचे लोगों पर पुलिस ने जबर्दस्त लाठीचार्ज किया था जिसमें खुद गहलोत सहित दर्जनों वकील, भाजपा कार्यकर्ता, पार्षद, निगमकर्मी आदि घायल हुए थे। इस मामले में सिविल लाइंस थाने में अलग से मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसकी सीआईडी सीबी जांच कर रही है। पुलिस के मुताबिक कांस्टेबल के साथ हुई मारपीट के मामले में गहलोत की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी। बुधवार सुबह उन्हें गिरफ्तार कर न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 3 अजय गोदारा के समक्ष पेश किया गया। मजिस्ट्रेट के समक्ष गहलोत की ओर से उनके वकीलों ने जमानत की अर्जी पेश की, जिसे खारिज कर उन्हें जेल भेजने के आदेश दिए गए।  आदेश मिलते ही पुलिस गहलोत को तत्काल केन्द्रीय कारागृह छोड़ आई। बाद में इस मामले में कार्यवाहक सेशन जज केके बागड़ी के समक्ष जमानत अर्जी पेश हुई। सेशन कोर्ट ने पांच पांच —हजार की दो जमानत दस हजार रुपए के मुचलके पर गहलोत को रिहा करने के आदेश जारी कर दिए।

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