राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा है कि सरकारी व्यवस्था से भ्रष्टाचार और लाल फीताशाही दूर कर बेहतर शासन हासिल करना हिंदुस्तान का सपना रहा है और सूचना का अधिकार [आरटीआई] कानून के व्यापक व सजग इस्तेमाल के जरिये इसे हकीकत में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार से सवाल पूछने का जो अधिकार पहले सांसदों और विधायकों को था, वह इस कानून ने हर आम नागरिक को दे दिया है।
सूचना के अधिकार कानून के चार साल पूरे होने के मौके पर केंद्रीय सूचना आयोग ने दो दिनी सम्मेलन आयोजित किया है। सोमवार को इसी सम्मेलन में राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार जनता की होती है। जनता जब चाहे, उसे हर योजना की तरक्की के बारे में सही-सही जानकारी मिलनी चाहिए। आरटीआई ने यह तो मुमकिन कर ही दिया है। इस कानून के व्यापक और सजग इस्तेमाल से देश को भ्रष्टाचार और लाल फीताशाही से मुक्त करने का सपना भी पूरा हो सकता है। हालांकि उन्होंने नागरिकों को जिम्मेदारी के साथ इसका इस्तेमाल करने की सलाह भी दी।
कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने इस मौके पर कहा कि सरकार ने इस कानून को ज्यादा से ज्यादा अनौपचारिक बनाने के लिए हर मुमकिन कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न सरकारी दफ्तरों में सूचनाओं के बेहतर संकलन के लिए इनमें केंद्र सरकार की मदद से ई-गवर्नेस लाने की योजना बनाई गई है। इसे योजना आयोग ने भी सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। अब जल्दी ही इसे लागू किया जा सकेगा।
चव्हाण ने कहा, ‘सरकार ने आरटीआई को कारगार बनाने के लिए पिछले वर्ष केंद्र प्रायोजित योजना पेश की गयी थी। इसके तहत राष्ट्रीय आरटीआई प्रत्युत्तर केंद्र के गठन का कार्य शुरू किया गया था।‘
उन्होंने कहा, ‘‘इसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने आरटीआई में ई-गवर्नेस और ई-मेल के जरिए संवाद की सेवा को सिद्धांत रूप में मंजूरी दे दी है।‘‘ सूचना के अधिकार अधिनियम के चतुर्थ वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, ‘‘सूचना के अधिकार अधिनियम को प्रभावी बनाने के लिए पहले चार वर्ष में सूचना मांगने वालों, सूचना प्रदान करने वालों, स्वयंसेवी संस्थाओं, नागरिक संगठनों, मीडिया आदि सभी पक्षों ने काफी समर्थन दिया है।‘
मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने कहा कि इस कानून ने भारत को एक आदर्श लोकतंत्र बनने की राह पर अपना सफर तेज करने में मदद की है। भारत में यह कानून लागू होने के बाद नेपाल, बांग्लादेश और भूटान ने भी अपने यहां इसे लागू कर लिया है।
सूचना के अधिकार कानून के चार साल पूरे होने के मौके पर केंद्रीय सूचना आयोग ने दो दिनी सम्मेलन आयोजित किया है। सोमवार को इसी सम्मेलन में राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार जनता की होती है। जनता जब चाहे, उसे हर योजना की तरक्की के बारे में सही-सही जानकारी मिलनी चाहिए। आरटीआई ने यह तो मुमकिन कर ही दिया है। इस कानून के व्यापक और सजग इस्तेमाल से देश को भ्रष्टाचार और लाल फीताशाही से मुक्त करने का सपना भी पूरा हो सकता है। हालांकि उन्होंने नागरिकों को जिम्मेदारी के साथ इसका इस्तेमाल करने की सलाह भी दी।
कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने इस मौके पर कहा कि सरकार ने इस कानून को ज्यादा से ज्यादा अनौपचारिक बनाने के लिए हर मुमकिन कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न सरकारी दफ्तरों में सूचनाओं के बेहतर संकलन के लिए इनमें केंद्र सरकार की मदद से ई-गवर्नेस लाने की योजना बनाई गई है। इसे योजना आयोग ने भी सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। अब जल्दी ही इसे लागू किया जा सकेगा।
चव्हाण ने कहा, ‘सरकार ने आरटीआई को कारगार बनाने के लिए पिछले वर्ष केंद्र प्रायोजित योजना पेश की गयी थी। इसके तहत राष्ट्रीय आरटीआई प्रत्युत्तर केंद्र के गठन का कार्य शुरू किया गया था।‘
उन्होंने कहा, ‘‘इसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने आरटीआई में ई-गवर्नेस और ई-मेल के जरिए संवाद की सेवा को सिद्धांत रूप में मंजूरी दे दी है।‘‘ सूचना के अधिकार अधिनियम के चतुर्थ वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, ‘‘सूचना के अधिकार अधिनियम को प्रभावी बनाने के लिए पहले चार वर्ष में सूचना मांगने वालों, सूचना प्रदान करने वालों, स्वयंसेवी संस्थाओं, नागरिक संगठनों, मीडिया आदि सभी पक्षों ने काफी समर्थन दिया है।‘
मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने कहा कि इस कानून ने भारत को एक आदर्श लोकतंत्र बनने की राह पर अपना सफर तेज करने में मदद की है। भारत में यह कानून लागू होने के बाद नेपाल, बांग्लादेश और भूटान ने भी अपने यहां इसे लागू कर लिया है।
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