उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि अधीनस्थ व मंत्रालयिक कर्मियों की भर्ती के लिए अलग बोर्ड बनने के बावजूद यह कार्य राजस्थान लोक सेवा आयोग से क्यों कराया जा रहा है। न्यायालय ने जयपुर निवासी प्रहलाद शर्मा की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने एक साल में भी बोर्ड को काम नहीं मिलने पर आश्चर्य जताया है।
याचिका में कहा कि राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड का गठन 3 अक्टूबर,08 को हुआ, जिसे अधीनस्थ व मंत्रालयिक कर्मियों की भर्ती करने का अधिकार दिया। बोर्ड में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति के बावजूद इसे काम नहीं सौंपा गया है, बोर्ड को स्टाफ व कार्यालय के लिए भवन भी नहीं मिला है। उधर, बोर्ड बनने के बावजूद राजस्थान लोक सेवा आयोग अधीनस्थ व मंत्रालयिक पदों के लिए अब भी भर्ती कर रहा है। बोर्ड के नियम बनने के बाद आयोग को इन भर्तियों का अधिकार ही नहीं है, ऎसे में बोर्ड बनने के बाद की गई भर्ती अवैधानिक हैं। याचिका में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व कार्मिक सचिव को पक्षकार बनाया गया है।
याचिका में कहा कि राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड का गठन 3 अक्टूबर,08 को हुआ, जिसे अधीनस्थ व मंत्रालयिक कर्मियों की भर्ती करने का अधिकार दिया। बोर्ड में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति के बावजूद इसे काम नहीं सौंपा गया है, बोर्ड को स्टाफ व कार्यालय के लिए भवन भी नहीं मिला है। उधर, बोर्ड बनने के बावजूद राजस्थान लोक सेवा आयोग अधीनस्थ व मंत्रालयिक पदों के लिए अब भी भर्ती कर रहा है। बोर्ड के नियम बनने के बाद आयोग को इन भर्तियों का अधिकार ही नहीं है, ऎसे में बोर्ड बनने के बाद की गई भर्ती अवैधानिक हैं। याचिका में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व कार्मिक सचिव को पक्षकार बनाया गया है।
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