उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि आपराधिक मामलों में किसी आरोपी को महज संभावनाओं के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता। आरोपी को दोषी साबित करने के लिए स्पष्ट सबूत होने चाहिए जो स्वाभाविक संदेहों से परे होना चाहिए।
न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति बी एस चौहान की एक पीठ ने अपने फैसले में कहा कि आपराधिक मामलों में दोषी तभी ठहराया जा सकता है जब आरोपी के खिलाफ सबूत स्वाभाविक संदेहों से परे हों। अपराध को अंजाम देने की संभावनाओं के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कथित दहेज संबंधी हत्या के एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह व्यवस्था दी जिसमें एक व्यक्ति और उसके पिता को सजा सुनाई गई थी। न्यायालय ने निचली अदालत के सजा संबंधी फैसले को भी पलट दिया।
मामले में अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि वधू ने दहेज प्रताड़ना से तंग आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली,लेकिन आत्महत्या से पहले छोड़े गए खत में किसी को मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था।
मामले में अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि वधू ने दहेज प्रताड़ना से तंग आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली,लेकिन आत्महत्या से पहले छोड़े गए खत में किसी को मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था।
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