मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन ने कहा कि जिस देश में विभिन्न नस्लों जातियों और समुदायों के लोग रहते हैं वहां समान नागरिक संहिता अत्यधिक ‘संवेदनशील ’ मुद्दा है ।
बालकृष्णन ने एम के नाम्बियार स्मृति व्याख्यान में कहा समान नागरिक संहिता का सवाल बेहद संवेदनशील मुद्दा है। भारत वह देश है जहां कई नस्ल जाति और समुदाय के लोग रहते हैं। कोई कानून बनाने और उसे लागू करते वक्त भारत जैसे देश में अत्यधिक संवेदनशीलता एवं सावधानी बरते जाने की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां तक कि ब्रिटिशकाल में भारतीय दंड संहिता को लागू करने में 30 साल लग गये। पूर्व एटर्नी जनरल सोली जे सोराबजी ने कहा कि समान नागरिक संहिता पर अकादामिक चर्चा हमेशा स्वागत योग्य है लेकिन इस चुनौती से विधायिका को निपटना होगा। उन्होंने कहा समान नागरिक संहिता को एकतरफा ढंग से नहीं थोपा जा सकता।
बालकृष्णन ने एम के नाम्बियार स्मृति व्याख्यान में कहा समान नागरिक संहिता का सवाल बेहद संवेदनशील मुद्दा है। भारत वह देश है जहां कई नस्ल जाति और समुदाय के लोग रहते हैं। कोई कानून बनाने और उसे लागू करते वक्त भारत जैसे देश में अत्यधिक संवेदनशीलता एवं सावधानी बरते जाने की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां तक कि ब्रिटिशकाल में भारतीय दंड संहिता को लागू करने में 30 साल लग गये। पूर्व एटर्नी जनरल सोली जे सोराबजी ने कहा कि समान नागरिक संहिता पर अकादामिक चर्चा हमेशा स्वागत योग्य है लेकिन इस चुनौती से विधायिका को निपटना होगा। उन्होंने कहा समान नागरिक संहिता को एकतरफा ढंग से नहीं थोपा जा सकता।
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment