पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, October 13, 2009

पीएफ भुगतान को हर हाल में प्राथमिकता मिले-उच्चतम न्यायालय


उच्चतम न्यायालय ने कर्मचारी नियोक्ता संबंध में बड़ा बदलाव लाते हुए यह व्यवस्था दी है कि कर्मचारी भविष्य निधि एक्ट 1952 के तहत कर्मचारी को मिलने वाली धनराशि को उसकी सभी देनदारियों से ऊपर समझा जाए।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीएन अग्रवाल, न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति आफताब आलम की खंडपीठ ने महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक की याचिका का निपटारा करते हुए यह अहम फैसला सुनाया। खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस एक्ट के खण्ड 11 में संशोधन करके जो उपखंड 2 जोड़ा गया है उसमें कहा गया है कि कर्मचारी की भविष्य निधि किसी अन्य दावे की वजह से रोकी नहीं जा सकती है। खण्ड 17 के अनुसार अगर किसी वजह से इस राशि के भुगतान में देरी होती है तो नियोक्ता ब्याज का भुगतान करेगा।

न्यायमूर्ति सिंघवी ने अपने 60 पृष्ठों के फैसले में लिखा है कि उपखंड दो से पता चलता है कि विधायिका इस तथ्य से अवगत थी कि कर्मचारी के भुगतान को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

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