पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, October 7, 2009

राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज की पासा अधिसूचना।


राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 2006 (पासा) में निरुद्घ करने (रोककर रखने) संबंधी नोटिफिकेशन को निरस्त कर दिया है। साथ ही अदालत ने राज्य के विभिन्न जिलों में पासा में निरुद्घ व्यक्तियों को मुक्त करने का आदेश दिया है।
अदालत ने इस आदेश में सरकार के कामकाज में ढिलाई बरतने पर टिप्पणी की है। न्यायाधीश अजय रस्तौगी और न्यायाधीश आर.एस. राठौड़ की खंडपीठ ने इस नोटिफिकेशन के तहत 9 अभियुक्तों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को मंजूर करते हुए यह आदेश दिया। अदालत ने उन्हें यह मानते हुए छोड़ा कि जिला मजिस्ट्रेट को पासा कानून की धारा 3 (2) में निरुद्घ करने का जो अधिकार दिया हुआ है वह विधि सम्मत नहीं है, क्योंकि उन्हें यह अधिकार एक ही नोटिफिकेशन के तहत दिया हुआ है।

खंडपीठ ने जयपुर, झुंझुनूं, कोटा, अलवर, सवाई माधोपुर में 18 अगस्त 08 को जारी नोटिफिकेशन को निरस्त कर दिया है। इस मामले में अनिल नायक व 8 अन्य की ओर से बहस करते हुए एडवोकेट जयराज टाटियां, आर.आर. बैंसला का कहना था कि पासा में एक ही अधिसूचना से राज्य के जिला मजिस्ट्रेटों को निरुद्घ करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। अभियुक्तों ने उन्हें निरुद्घ करने के आदेश को अदालत में चुनौती दी थी। अदालत ने कहा कि पूर्व में दिए गए फैसलों में यह कहा जा चुका है कि निरुद्घ करने संबंधी मामलों के लिए एक अलग से एक विभाग बनाया जाए जो यह देखे कि अदालत द्वारा समय समय पर दिए गए फैसलों की पालना हो रही है या नहीं। इस मामले में ढिलाई बरती गई है।

अदालत ने उम्मीद जताई है कि इस फैसले की पालना में गंभीरता बरतेगी जिससे भविष्य में इस तरह की गलतियां नहीं हो। अदालत ने इस फैसले की प्रति मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव गृह विभाग को भिजवाने का आदेश दिया है।

पासा कानून की धारा 3(2) के तहत नोटिफिकेशन में जिला मजिस्ट्रेटों को यह अधिकार दिया गया है कि वे इसके तहत अपनी शक्तियों को उपयोग में ले सकते हैं। इस कानून के तहत असामाजिक तत्वों को अधिकतम एक साल के लिए निरुद्घ किया जा सकता है। कानून में इसकी अपील का प्रावधान नहीं है।  जिला मजिस्ट्रेट संबंधित व्यक्ति को पासा में निरुद्घ करने का आदेश जारी कर राज्य सरकार के पास भिजवाता है। सरकार उसे अपनी सिफारिश के साथ हाईकोर्ट के तीन जजों के सलाहकार मंडल के पास भिजवाती है। सलाहकार मंडल की स्वीकृति के बाद संबंधित व्यक्ति को पासा में निरुद्घ किया जाता है।

इस आदेश के तहत राज्य में अब तक निरुद्घ किए गए 70 जनों को रिहा करना होगा। यह आदेश फिलहाल 9 याचिकाकर्ताओं के लिए हैं। इसके लिए उन्हें अदालत में याचिका दायर कर अलग से आदेश लेना होगा।

0 टिप्पणियाँ: