देश की लोक सभा में तीन बार असम से चुनकर आए लाटरी किंग मोनी कुमार सुब्बा भारत के नागरिक ही नहीं थे। यह बात केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने सुप्रीम कोर्ट में कही है। इतना ही नहीं, जांच ब्यूरो ने यह भी कहा कि राष्ट्रीयता के सम्बन्ध में उनके द्वारा पेश किए गए प्रपत्र फर्जी थे। इस आधार पर उनपर एक केस भी चलाया जाना चाहिए।
एक समाचार चैनल ने मई 2007 में खुलासा किया कि 51 वर्षीय सुब्बा मूलत: एक नेपाली नागरिक हैं जिनका नाम मोनी राज लिम्बो है। हत्या के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद वह जेल से भाग गए थे। 1973 में जेल से भागे लिम्बो फिर पकड़े नहीं जा सके।
पिछली साल अप्रेल में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जन्म का एक प्रमाणपत्र पेश किया जिसमें कहा गया था उनका जन्मस्थान देबग्राम है। चैनल ने अपनी छानबीन में पता लगाया कि प्रमाणपत्र ही फर्जी था।
12वीं लोस चुनाव के लिए पेश किए गए नामांकन पत्र में उन्होंने अपना जन्मस्थान तेजपुर और तिथि 16 मार्च 1951 लिखी। 14वीं लोस में उन्होंने जन्मस्थान दार्जिलिंग के देबग्राम और जन्मतिथि 16 मार्च 1958 लिखी। लोकसभा चुनाव में वह असम में कांग्रेस के सबसे धनी प्रत्याशी थे। नकदी, सम्पत्ति व निवेश में उनकी सम्पत्ति 60 करोड़ से अधिक थी।
एक समाचार चैनल ने मई 2007 में खुलासा किया कि 51 वर्षीय सुब्बा मूलत: एक नेपाली नागरिक हैं जिनका नाम मोनी राज लिम्बो है। हत्या के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद वह जेल से भाग गए थे। 1973 में जेल से भागे लिम्बो फिर पकड़े नहीं जा सके।
पिछली साल अप्रेल में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जन्म का एक प्रमाणपत्र पेश किया जिसमें कहा गया था उनका जन्मस्थान देबग्राम है। चैनल ने अपनी छानबीन में पता लगाया कि प्रमाणपत्र ही फर्जी था।
12वीं लोस चुनाव के लिए पेश किए गए नामांकन पत्र में उन्होंने अपना जन्मस्थान तेजपुर और तिथि 16 मार्च 1951 लिखी। 14वीं लोस में उन्होंने जन्मस्थान दार्जिलिंग के देबग्राम और जन्मतिथि 16 मार्च 1958 लिखी। लोकसभा चुनाव में वह असम में कांग्रेस के सबसे धनी प्रत्याशी थे। नकदी, सम्पत्ति व निवेश में उनकी सम्पत्ति 60 करोड़ से अधिक थी।
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