पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, May 21, 2010

अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थाएं स्थापित करने का अधिकारः सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थाएं स्थापित करने का मौलिक अधिकार है और सरकार उसमें कोई बेजा रोक-टोक नहीं कर सकती।

उच्चतम न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता एक धार्मिक अल्पसंख्यक है। संविधान का अनुच्छेद 30 एक धार्मिक अल्पसंख्यक की हैसियत से उसे अपनी पसंद की शैक्षिक संस्था स्थापित करने और उसका प्रबंधन करने का स्पष्ट अधिकार देता है।

अनुच्छेद 30 के अनुसार, चाहे वह धर्म या भाषा पर आधारित हों तमाम अल्पसंख्यकों को देश में शैक्षिक संथाओं की स्थापना और प्रबंधन का अधिकार होगा। यह अनुच्छेद इसका भी प्रावधान करता है कि इस तरह के संस्थान अगर सरकार से कोष पाते हैं तब भी राज्य उनके साथ भेदभाव नहीं करेगा।
उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला कन्नोर डिस्ट्रिक्ट मुस्लिम एडयूकेशन ऐसोसिएशन की ओर से दायर अपील के पक्ष में किया। याचिका में केरल उच्च न्यायालय के इस फैसले को चुनौती दी गई थी कि ऐसोसिएशन को अपने प्रबंधन वाले सर सैयद कालेज में कोई हायर सेकंडरी कोर्स चलाने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।

कालेज ने हायर सेकंडरी कोर्स चलाने की इजाजत चाही थी लेकिन सरकार ने यह कहते हुए उसकी अनुमति नहीं दी कि तत्कालीन नियमावली में उसका प्रावधान नहीं था। केरल उच्च न्यायालय ने केरल शिक्षा नियमावली की व्याख्या करते हुए कहा कि अल्पसंख्यक संस्थाओं को कोर्स चलाने का वैधानिक अधिकार नहीं है। इसके बाद ऐसोसिएशन ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की।

उच्चतम न्यायालय ने अपील को सही करार देते हुए कहा कि राज्य को याचिकाकर्ता की संस्था में अगले शैक्षिक सत्र से हायर सेकंडरी कोर्स का आबंटन करने का निर्देश दिया। उसने इसके साथ ही यह भी कहा कि संस्था को शिक्षकों की नियुक्ति के वैधानिक प्रक्रियाओं पर अवश्य ही अमल करना चाहिए।

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