पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, April 6, 2010

दिनाकरन नहीं मानेंगे सु्प्रीम कोर्ट की 'सलाह'

भ्रष्टाचार और जमीन हड़पने के आरोप में महाभियोग का सामना कर रहे कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी.डी. दिनकरन ने सुप्रीम कोर्ट कोलीजियम की सलाह ठुकरा दी है। कोलीजियम ने उन्हें अवकाश पर जाने की सलाह दी थी। लेकिन, वह सामान्य दिनों की तरह सोमवार को भी प्रशासनिक काम करते दिखे। उन्होंने छुट्टी पर जाने का कोई संकेत भी नहीं दिया है।

इससे विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई है। वह हाई कोर्ट में बतौर मुख्य न्यायाधीश काम कर रहे हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली कोलीजियम दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मदन बी. लोकुर को कर्नाटक भेज रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने इस बाबत कहा, दिनकरन कोलीजियम की सलाह मानने से इन्कार कर सकते हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तभी प्रभार ले सकते हैं जब दिनकरन अवकाश पर जाएं।

59 वर्षीय दिनकरन हालांकि गत वर्ष दिसंबर से ही न्यायिक मामलों की सुनवाई नहीं कर रहे हैं। राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने पिछले साल दिसंबर में दिनकरन के खिलाफ भ्रष्टाचार, जमीन कब्जाने और न्यायिक पद के दुरुपयोग के आरोप में महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी तरक्की पहले ही रोक दी थी। महाभियोग में उनके खिलाफ लगाए गए आरोप में आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति रखने का भी आरोप है। इसके अलावा उन पर पत्‍‌नी और दो बेटियों के नाम से गलत ढंग से आवास बोर्ड के पांच भूखंड लेने के आरोप हैं। दिनकरन ने हालांकि सभी आरोपों का खंडन किया है। उनका दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में उनकी प्रोन्नति रोकने के लिए ही उन पर ये आरोप लगाए गए।

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