पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, April 22, 2010

बिना जज साहब की इजाजत के गोपनीय दस्तावेजों की कॉपी देना कोर्ट स्टाफ को मंहगा पड़ सकता है।

बिना जज साहब की इजाजत के अगर उनका स्टाफ अदालत के गोपनीय दस्तावेजों की कॉपी वकीलों और मुल्जिमों को उपलब्ध कराता पाया गया, तो अब उसकी खैर नहीं। दरअसल, ऐसे मामलों पर न्यायाधीशों की कड़ी नजर है। कोर्ट स्टाफ द्वारा ऐसे अनुचति कार्य किए जाने पर  दिल्ली जिला जज (प्रथम) जीपी मित्तल ने अपनी कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए इसे ‘विश्वासघात’ करार दिया है। जिला जज ने विशेषकर कुछ आशुलिपिक, अलहमदों को ऐसे कार्य किए जाने का जिम्मेदार ठहराया है।

साथ ही कहा है कि बिना जज की इजाजत के ऐसे दस्तावेजों की प्रति मुल्जिमों, वादी और वकीलों को दिया जाना न सिर्फ अनुशासनहीनता है, बल्कि नैतिक मूल्यों की खिलाफत करना है। इस संबंध में जिला जज जीपी मित्तल ने सभी अदालतों के साथ-साथ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के लिए एक परिपत्र जारी किया है। न्यायाधीश मित्तल ने इस परिपत्र में कड़ी टिप्पणियां की हैं। उन्होंने लिखा है कि उनके कार्यालय को सूचना मिली है कि कुछ आशुलिपिक (स्टेनोग्राफर) अदालत के फैसलों की प्रति जज के जांचने से पहले ही वकीलों और वादियों के अलावा मुल्जिमों को भी दे देते हैं। ऐसे में जज के बिना हस्ताक्षर किए ऐसे फैसलों की कॉपी इन लोगों को मिल जाती है। यह घोर अनुशासनहीनता के अलावा न्यायपालिका के साथ विश्वासघात करना है। इस प्रकार के अनुचित कार्य को किया जाना नैतिक मूल्यों के खिलाफ है और कदाचार के साथ-साथ भ्रष्टाचार का प्रमाण भी है।



परिपत्र में यह भी कहा गया है कि उन्हें यह भी सूचना मिली है कि कुछ आशुलिपिक अैर अलहमद गलत तरीके से गवाहों के बयान की प्रति भी वकीलों और वादियों को देते हैं, जो कि गोपनीय दस्तावेज हैं। ऐसा किया जाना न सिर्फ कार्यालय स्टेशनरी का दुरुपयोग करना है, बल्कि इससे भारत सरकार को भी आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

जिजा जज ने राजधानी की पांचों जिला अदालतों में नियुक्त आशुलिपिकों, अलहमदों और सहायक अलमदों को साफ कहा है कि अगर भविष्य में वे ऐसे कार्य करते हुए पाए गए तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। न्यायाधीश मित्तल ने राजधानी के सभी जिला जजों के अलावा तीस हजारी, पटियाला हाउस, कड़कड़डूमा, रोहिणी और द्वारका जिला न्यायालय के जज और मजिस्ट्रेटों को यह परिपत्र भेजा है। साथ ही जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और भिक्षु न्यायालयों को भी इसकी कॉपी भेजी गई है। जिला जज ने सभी जिला जजों और पीठासीन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह इस परिपत्र को गंभीरता से लें और अपनी अदालतों में ऐसे अनुचित कार्यो पर लगाम लगाएं।

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