पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, April 19, 2010

रियायत पाने वाला छूट की शर्तों को चुनौती नहीं दे सकता -सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि सरकारी अथवा निजी कंपनियों द्वारा यात्रा में रियायत की सुविधा पाने वाले लोग छूट की शर्तों को चुनौती नहीं दे सकते। यानी वरिष्ठ नागरिक, विकलांग या छात्र, जिन्हें भी यात्रा में छूट दी जाती है, उन्हें इससे जुड़ी शर्तों का पालन करना होगा।
न्यायाधीश एच.एस. बेदी और जे.एम. पंचाल की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि किसी परिवहन साधन में दी जाने वाली छूट, चाहे वह रेलवे, एयरलाइंस या फिर सड़क परिवहन निगम हो, किसी को यह अधिकार नहीं देती कि छूट की शर्तें उसके हिसाब से निर्धारित होनी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने राजस्थान हाईकोर्ट के एक आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने इंडियन एयरलाइंस और कुछ निजी कंपनियों को निर्देश दिया था कि वरिष्ठ नागरिकों को हवाई यात्रा में मिली छूट पर वे अपनी शर्तें न लगाएं।
इंडियन एयरलाइंस ने शर्त लगा रखी है कि किसी वरिष्ठ नागरिक को रियायती टिकट के लिए कम से कम सात दिन पहले आवेदन करना होगा। इसके साथ ही इस टिकट के लाभार्थी को वापसी का टिकट हासिल करने के लिए गंतव्य स्थान पर कम से कम दो दिन तक ठहरना होगा।
हाईकोर्ट ने एक वरिष्ठ नागरिक के आवेदन पर सुनवाई करते हुए विमानन कंपनी के इस नियम को मनमाना और अवैध करार दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
 

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