पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, April 22, 2010

कसाब मामला : जज पर अदालत की अवमानना का केस!

कसाब मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के जज एमएल टाहिलियानी के खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है। याचिकाकर्ता अब्बास काजमी हैं, जो कसाब के वकील रह चुके हैं। उसे चार माह पहले जज द्वारा ही मामले से हटा दिया गया था।

काजमी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि, ‘कसाब मामले की सुनवाई के दौरान जब विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम मेरा अपमान कर रहे थे, तब जज मूक दर्शक बने रहे। यह अदालत की अवमानना है।’

उन्होंने कहा कि, ‘सरकारी वकील ने मुझे झूठा.आतंकी का वकील. कहा और मेरी तुलना मुंबई हमले के षडयंत्रकारी से की। ऐसे समय जज ने चुप रहकर अवमानना कानून 1971 की धारा 15 व 16 के तहत अपनी ही अदालत की अवमानना की है। अदालत में उपस्थित हुआ वकील एक तरह से अदालत का अधिकारी होता है, मामले की सुनवाई कर रहे जज को वकील का अपमान करने का कोई हक नहीं होता।’

काजमी ने पत्रकारों से बातचीत में यह मांग भी की है कि कसाब का केस लड़ने के लिए उसे पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिकता सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से सम्मानित किया जाना चाहिए। पाकिस्तानी आतंकी कसाब और दो भारतीयों के खिलाफ सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला 3 मई को संभावित है।

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