पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, April 10, 2010

'धोखेबाज' पति का वेतन जानने के लिए आरटीआई का सहारा

सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के जमाने में कुछ भी नहीं छिप सकता। यहां तक कि आपको हर माह मिलने वाली तनख्वाह भी। अब केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कहा है कि किसी सरकारी कर्मचारी का वेतन निजी जानकारी नहीं मानी जाए। सीआईसी ने यह व्यवस्था एक महिला की अपील मंजूर करते हुए दी।

सूचना आयुक्त अन्नपूर्णा दीक्षित ने छत्तीसगढ़ निवासी शिवकुमारी कश्यप के पक्ष में आदेश जारी किया। कश्यप को संदेह था कि दक्षिण-पूर्वी मध्य रेलवे के कर्मचारी बलदेव सिंह ने अपनी सर्विस बुक में दूसरी बीवी का नाम लिखा रखा है। ऐसे में कश्यप ने आरटीआई कानून के तहत रेलवे को आवेदन भेजा। इसमें उन्होंने अपने पति का वेतन संबंधी ब्योरा तथा सर्विस बुक की प्रति मांगी।

रेलवे के यह जानकारी देने से इनकार करने पर कश्यप ने सीआईसी में अपील की। उन्होंने वीडियो कान्फ्रेंसिंग में दावा किया कि वे बलदेव की वैध रूप से विवाहित पत्नी हैं। पति का उनके साथ बर्ताव अच्छा नहीं रहता है। मामले की सुनवाई के बाद सीआईसी ने कहा कि कश्यप के द्वारा मांगी गई जानकारी 10 अप्रैल तक मुहैया कराई जाए।

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