पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, April 5, 2010

दिल्ली सरकार पड़ोसियों के झगड़े तीन महिने में सुलझाएगी

अगर पड़ोसी सताए या फिर कोई चेक बाउंस हो जाए तो कोर्ट या थाने के चक्कर काटने की बजाए सीधे दिल्ली सरकार के पास जाएं। दिल्ली सरकार पड़ोसियों के झगड़े सुलझाएगी। न केवल छोटे-मोटे झगड़े बल्कि संपत्ति विवाद, वित्तीय लेन-देन यहां तक कि दंपती विवाद भी उठाए जा सकेंगे।  सरकार का दावा है कि उनकी अदालत में उठाए गए प्रत्येक मामले को महज 3 दिन से 3 माह के बीच सुलझा लिया जाएगा। सरकार के समक्ष आपको अपने मामले की पैरवी करनी होगी। पैरवी पर आने वाला सारा खर्च मुकदमे का फैसला आने के बाद देना होगा। दरअसल सरकार दिल्ली में डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन सोसायटी नामक मंच का गठन करने जा रही है।


सोसायटी का काम दिल्लीवासियों का आपसी विवाद सुलझाना होगा। दिल्ली के मुख्य सचिव व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राकेश मेहता सोयायटी के चेयरमैन हैं। दिल्ली के सभी १क् जिलों में इस प्रकार की एक-एक सोसायटी गठित की जाएगी। जिसमें स्थानीय अधिकारी, अदालत से जुड़े विशेषज्ञ व स्थानीय नुमांइदे शामिल होंगे।

सभी  सोसायटियों के चेयरमैन मुख्यसचिव ही रहेंगे। मुख्यसचिव राकेश मेहता के मुताबिक दिल्ली की अदालतों पर बढ़ते दबाव व दीवानी विवादों के जल्द निपटारे के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। मेहता ने बताया कि सोसायटी का पहला कार्यालय सबसे पहले पड़पड़गंज इलाके में शुरू होना है। इसके बाद जल्द ही दिल्ली के शेष क्षेत्रों में भी शुरुआत की जाएगी।

मंच की खासियत यह भी है कि यहां केवल दीवानी मामले ही उठाए जा सकते है। झगड़ा, चोरी, हत्या, बलात्कार, छेड़छाड़ या फिर किसी भी प्रकार का कोई अन्य फौजदारी मामला यहां नहीं सुना जाएगा। फौजदारी मामलों के लिए पीड़ित व्यक्ति को पहले की ही तरह पुलिस स्टेशन और फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।


छह लाख दीवानी मामले हैं लंबित


दिल्ली में दीवानी मामलों की भी भरमार है। एक सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट में इस समय 6 लाख दीवानी मामले लंबित हैं। इनमें कई तो ऐसे हैं, जिनमें कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी के कुत्ते से परेशान है तो किसी ने पड़ोसी के पेड़ पौधों की शिकायत की है। इस प्रकार के सभी मामले सरकार द्वारा गठित इस सोसायटी में उठाए जा सकेंगें। नव दंपतियों से जुड़े मामलों के लिए भी यहां विशेषज्ञ मौजूद होंगे। विशेषज्ञ विवाह के उपरांत ससुराल वालों या फिर पति-पत्नी के बीच उत्पन्न मतभेदों को दूर करने का प्रयास करेंगे।

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