पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, April 9, 2010

हिंदी की जीत : दिल्ली की अदालत में बहस की अनुमति

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंग्रेजी भाषा में बहस की अनिवार्यता को परे रखते हुए आज पहली बार एक वकील को हिन्दी भाषा में बहस करने की इजाजत दी !
न्यायमूर्ति रेखा शर्मा ने यह जानने के बाद कि अधिवक्ता दास गोनिन्दर सिंह संबंधित मामले को अपनी मातृभाषा में बेहतर बहस कर सकते हैं, उन्हें हिन्दी में ही बहस करने की इजाजत दे दी !   इतना ही नहीं उन्होंने श्री सिंह से उन्हीं की जुबान में सवाल भी किए !
हालांकि श्री सिंह ने याचिका अंग्रेजी में लिखी थी. लेकिन उसमें उन्होंने यह कहा था कि उनकी शिक्षा..दीक्षा शुरू से ही हिन्दी माध्यम से हुई है और यदि उन्हें हिन्दी में बहस की इजाजत दी जाती है तो वह अपनी बात अंग्रेजी की अपेक्षा हिन्दी में ज्यादा बेहतर तरीके से रख सकेंगे !
जब उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने अपनी याचिका हिन्दी में ही क्यों नहीं दाखिल की तो उन्होंने कहा यदि मैं हिन्दी में याचिका दायर करता तो वह फाइलिंग काउंटर पर ही खारिज कर दी जाती1 उच्च न्यायालय में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में इस्तेमाल की अनुमति संबंधी याचिका पहले से ही लंबित है !   राजस्थान और उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालयों में हिन्दी को आधिकारिक भाषा की मान्यता प्रदान कर दी गई है. लेकिन दिल्ली में अभी तक ऐसा नहीं हो सका है !
बाद में उन्होंने कहा कि अनेक वकील ऐसे हैं जिनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है. इसलिए उन्हें मुकदमे के लिए अंग्रेजी बोलने वाले वकील का सहयोग लेना पडता है और इसका अतिरिक्त बोझ वादियों..प्रतिवादियों को झेलना पडता है !

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