पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, April 5, 2010

अब ईमेल अकाउंट्स की भी वसीयत

ईमेल और उनमें सेव इन्फर्मेशन की अहमियत कितनी बढ़ती जा रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब लोग इनकी वसीयत भी करने लगे हैं। दिल्ली में एक शख्स ने अपने ईमेल अकाउंट्स और उनमें दर्ज डिजिटल सीक्रेट्स की वसीयत अपने बेटों के नाम कर दी है। राजधानी में शायद यह अपनी तरह का पहला मामला है।

उसकी डिजिटल विल के मुताबिक, जब यह वसीयत करने वाला इस दुनिया में नहीं रहेगा, तब उसके बेटे को एक पासवर्ड दिया जाएगा। जिसकी मदद से वह उसके इनबॉक्स में प्राइवेट ईमेल्स, पर्सनल फोटो, एल्बम्स, डॉक्युमेंट्स, विडियो क्लिप्स को एक्सेस कर सकेगा।

सुप्रीम कोर्ट के ऐडवोकेट और साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने बताया कि यह वसीयत एक बिजनेसमैन ने की है, जिसका पेंट्स का कारोबार है। उसके कई ईमेल अकाउंट्स हैं। उसने हर अकाउंट के लिए नॉमिनी तय किए हैं।
 
दुग्गल के मुताबिक, एक अकाउंट में उसके आर्टिस्टिक वर्क हैं। दूसरे में ऑडियो रिकॉर्डिंग्स का कलेक्शन और तीसरे में ऑटो बायोग्रफी है। एक अन्य ईमेल अकाउंट में उसके कई राज हैं। वह नहीं चाहता कि ये चीजें उसकी मौत के साथ ही दफन हो जाएं, इसीलिए उसने अपने एक बेटे के नाम इसकी वसीयत कर दी है। उसे विश्वास है कि वह इनका दुरुपयोग नहीं करेगा। दुग्गल ने बताया कि डिजिटल विल का कंसेप्ट नया है।

विदेश में एक व्यक्ति ने अपने ईमेल अकाउंट्स की वसीयत अपनी बहन के नाम की है। उसकी इच्छा है कि बहन एक ब्लॉग बनाकर उसके अकाउंट्स में दर्ज जानकारियों को ऑनलाइन कर दे।

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