किसान ने भिंडी उगाने के लिए बीजों की बुआई की। उससे पौधे तो उगे पर घटिया बीज होने से न फूल आए और न भिंडी लगी। किसान की शिकायत पर जिला उपभोक्ता फोरम इंदौर ने बीज देने वाली कंपनी व स्थानीय प्रतिनिधि को 35 हजार रुपए जुर्माना व बीज की कीमत देने के आदेश दिए। फैसला फोरम के अध्यक्ष अभिनंदनकुमार जैन व सदस्य शोभा दुबे ने सुनाया। इंदौर के ग्राम धमनाय निवासी पोपसिंह ने फोरम में बीज उत्पादन करने वाली कंपनी महिको वेजिटेबल्स सीड्स लि. नरीमन रोड मुंबई, कंपनी के एमजी रोड इंदौर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय महिको सीड्स लिमिटेड व दुकानदार बालाजी सीड्स एवं पेस्टीसाइड्स नसिया रोड के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत किया था।
उसमें कहा था कि फरियादी ने 2007 में नसिया रोड स्थित बालाजी सीड्स एवं पेस्टीसाइड्स से 18 सौ रुपए में दो किलो पेक्ड भिंडी के बीज खरीदकर चार बीघा खेत में बुआई की थी। पौधे तो उचित रूप से बढ़े किंतु उनमें न फूल आए, न भिंडी लगी। इसकी शिकायत दुकानदार, स्थानीय प्रतिनिधि व कंपनी से की थी। इस पर स्थानीय प्रतिनिधि ने अपने कर्मचारी से स्थल का निरीक्षण कराने के बाद किसान को सुझाया कि इस फसल को उखाड़कर अन्य फसल की बुआई करे। जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई कर दी जाएगी।
बांझ फसल का पंचनामा : किसान ने ग्राम पंचायत में शिकायत कर बांझ फसल का पंचनामा बनवाया। उसके बाद कंपनी, स्थानीय प्रतिनिधि व दुकानदार से क्षतिपूर्ति के लिए लगातार संपर्क किया किंतु भुगतान नहीं किया। इस कारण फोरम में नुकसानी व हर्जाने के रूप में साढ़े चार लाख रुपए दिलाने की गुहार की।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान दुकानदार ने कहा बीज की खराबी के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। फोरम ने मामले में दुकानदार को उत्तरदायी नहीं मानते हुए कंपनी व क्षेत्रीय कार्यालय प्रतिनिधि को जिम्मेदार माना। फोरम ने आदेश दिया कि कंपनी व क्षेत्रीय कार्यालय प्रतिनिधि किसान को बीज का मूल्य 18 सौ रुपए वापस करे। साथ ही प्रतिकर के रूप में 35 हजार रुपए व परिवाद व्यय के एक हजार रुपए का भुगतान करे।
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न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने अपने एक फैसले में कहा कि जरूरत के नाम पर निजी संस्थानों के लिए भूमि अधिग्रहण करने में सरकार के काम को अदालतों को 'संदेह' की नजर से देखना चाहिए।
पीठ की ओर से फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति ... More Link |
1 टिप्पणियाँ:
किसान को न्याया मिलेगा, तो भूखे पेट भरेंगे!
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