उच्चतम न्यायालय ने देश में अनिवार्य मतदान की व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने संबंधी याचिका आज खारिज कर दी. याचिकाकर्ता अतुल सरोदे ने मु‘य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन और न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की खंडपीठ के समक्ष यह दलील दी कि जिस तरह आस्ट्रेलिया में मतदान को अनिवार्य बनाया गया है. उसी तरह भारत में मतदान अनिवार्य करने की जरूरत है. ताकि देश के ज्यादा से ज्यादा नागरिकों की भागीदारी लोकतंत्र के महापर्व चुनाव में हो सके. खंडपीठ ने जब याचिकाकर्ता से यह पूछा कि आखिर उनकी जनहित याचिका का मकसद ‘या है, तो उन्होंने कहा कि वह ऐसी व्यवस्था चाहते हैं, जिससे लोकतंत्र में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो और मतदान 50 प्रतिशत से अधिक हो सके. इसपर न्यायालय ने कहा कि देश में औसत मतदान तो अब भी 50 प्रतिशत से अधिक है. फ़िर इस याचिका का औचित्य ‘या है. इसके बाद न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी.
![]() | संपत्ति का खुलासा नहीं कर सकता: बालाकृष्णन 6 Comments - 19 Apr 2011 पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने संपत्ति से संबंधित सूचनाओं के गलत उपयोग बताते हुए आयकर अधिकारियों से कहा कि वह अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं कर सकते। सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता पी बालाचंद्रन की ओर से आयरकर विभाग से बालाकृष्णन की संपत्ति की सूचना मांगने पर आयकर अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने हलफाना दाखिल किया है कि वह अपनी सम्पत्ति को ... More Link |
![]() | संवैधानिक अधिकार है संपत्ति का अधिकार 4 Comments - 19 Apr 2011 सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार है और सरकार मनमाने तरीके से किसी व्यक्ति को उसकी भूमि से वंचित नहीं कर सकती।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने अपने एक फैसले में कहा कि जरूरत के नाम पर निजी संस्थानों के लिए भूमि अधिग्रहण करने में सरकार के काम को अदालतों को 'संदेह' की नजर से देखना चाहिए।
पीठ की ओर से फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति ... More Link |
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